आज हमारी टीम ने बिहार में आम आदमी पार्टी के संघर्ष गाथा और आंतरिक विवादों का पोस्ट मार्टम किया है.
बिहार देश के राजनीती में सदियों से अहम् भूमिका अदा करता रहा है. ऐसे में हर छोटे बड़े दल प्रयास करते हैं की बिहार के राजनीती में किसी तरह स्थापित हो जाएँ.
आम आदमी पार्टी भी इसी प्रयास में बीते 06 वर्षों से बिहार में संघर्ष कर रही है.वर्ष 2014 में पार्टी ने बिहार सभी लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किये थे.तब देश के राजनीती में आम आदमी पार्टी और अरविन्द केजरीवाल की जबर्दस्त प्रवेश हुई थी.पार्टी ने दिल्ली में पहली बार में ही 28 सीटों पर जीत दर्ज की थी.बीते 06 वर्षों से पार्टी बिहार में लगातार संगठन विस्तार के लिए कार्य कर रही है,लेकिन आजतक सफलता नहीं हासिल हुई.इसके पीछे कई वजह बताये जा रहे हैं.आगे हम इन वजहों को बिन्दुवार बताएँगे और पूरा विश्लेष्ण भी करेंगे.
२१ सितम्बर 2018 को आप बिहार इकाई को पहला प्रदेश अध्यक्ष शत्रुध्न साहू के रूप में मिला.इससे पहले लम्बे समय से बिहार के कार्यकर्ता प्रदेश कमिटी की मांग कर रहे थे.हालाकिं प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव पर भी कई कार्यकर्ता और जिलाध्यक्ष सवाल उठाते रहे हैं.
लोकसभा टिकट के लिए 20 लाख जरुरी
बिहार के एक प्रदेश उपाध्यक्ष से हमारी टीम के एक सदस्य ने फोन पर संपर्क किया और एक लोकसभा से चुनाव लड़ने की इक्षा जाहिर की तो इशारों ही इशारों में नेता जी ने कहा की पहले 20 लाख खर्चा करना पड़ेगा फिर बात चीत होगी. हमारे पड़ताल में पता चला है की आप बिहार में बड़े पद के लिए मोटी रकम चंदा के रूप देनी पड़ती है.
बहरहाल दिल्ली से चंदा की बीमारी बिहार तक आ पहुची है,आप बिहार को उज्जवल राजनितिक भविष्य की शुभकामनाएं हमारी टीम के तरफ से.आगे फिर मिलेंगे किसी और दल के पोस्ट मार्टम के साथ.
धन्यवाद
बिहार देश के राजनीती में सदियों से अहम् भूमिका अदा करता रहा है. ऐसे में हर छोटे बड़े दल प्रयास करते हैं की बिहार के राजनीती में किसी तरह स्थापित हो जाएँ.
२१ सितम्बर 2018 को आप बिहार इकाई को पहला प्रदेश अध्यक्ष शत्रुध्न साहू के रूप में मिला.इससे पहले लम्बे समय से बिहार के कार्यकर्ता प्रदेश कमिटी की मांग कर रहे थे.हालाकिं प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव पर भी कई कार्यकर्ता और जिलाध्यक्ष सवाल उठाते रहे हैं.
प्रदेश अध्यक्ष के चयन के लिए बिहार प्रभारी और पार्टी के राज्यसभा सांसद श्री संजय सिंह के नेतृत्व में गुप्त वोटिंग प्रक्रिया अपनाई गई थी,लेकिन नाम न लिखने के शर्त पर एक जिलाध्यक्ष ने बताया की सबकुछ पहले से सेट था सिर्फ जिलाध्यक्षों को संतुष्ट करने के लिए गुप्त वोटिंग की औपचारिकता पूरी की गई थी.उन्होंने बताया की गुप्त मतदान में सिफ जिलाध्यक्षों को मतदान करना था और प्रत्येक जिलाध्यक्षों को अपने तरफ से चार चार नाम प्रस्तावित करने थे.लगभग सभी जिला के अध्यक्षों ने अपने अपने चहेते पर्यवेक्षकों और अपने जिले के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं का नाम दिया था ,लेकिन उनसब को अनदेखा करके साहू जी को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया क्यूंकि उन्होंने दिल्ली से आकर बिहार में संगठन बना रहे पर्यवेक्षकों की आव भगत अच्छे से की थी.उनके खाने से लेकर ठहरने तक का इंतेजाम वह किया करते थे.इसलिए सभी पर्यवेक्षकों ने आपसी तालमेल करके और जिला के अध्यक्षों को गुमराह करके साहू जी को प्रदेश अध्यक्ष बनवाया.
बहरहाल २१ सितम्बर २०१८ को सभी जिलाध्यक्षों के मौजूदगी में दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री अरविन्द केजरीवाल के आवास पर शत्रुध्न साहू को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दे दी गई.
हमारी टीम ने वैशाली और गोपालगंज के पूर्व जिलाध्यक्षों से भी बात किया.उन्होंने बताया की पार्ट चाटुकारिता का बोलबाला है.पार्टी ने दिल्ली से दस पर्यवेक्षकों को बिहार में संगठन खड़ा करने के लिए बिहार भेजा था लेकिन जब प्रदेश कमिटी बनी तो दसों पर्यवेक्षकों ने बंद कमरे में बैठकर प्रदेश कमिटी के सभी महत्वपूर्ण पद आपस में बाँट लिए और यहीं से पार्टी की बर्बादी शुरू हो गई.प्रदेश कमिटी के अन्य पदों पर उन्ही लोगो को बैठाया गया जो पर्यवेक्षक और प्रदेश अध्यक्ष के गणेश परिक्रमा में शामिल रहे थे.प्रदेश कमिटी के 90 फीसदी पदों पर ऐसे लोग विराजमान हैं जिन्हें ठीक से बिहार के पिछले 05 वर्षों का राजनितिक हलचल का ज्ञान तक नहीं है.वैशाली के पूर्व अध्यक्ष ने भावुक होकर बताया की "पार्टी के तत्कालीन पर्यवेक्षक अमित कुमार सिंह ने मुझे दिल्ली के मुख्यमंत्री आवास में घुसने तक नहीं दिया,मेरे साथ कई बार बदतमीजी तक किया.मैंने कई बार ऊपर तक शिकायत किया लेकिन किसी ने नहीं सुनी" .
संगठन में गुटबाजी,सैकड़ों ने पार्टी छोड़ी
आप बिहार के प्रदेश कमिटी से लेकर जिला कमिटी में आज भी गुटबाजी बरक़रार है.प्रदेश के किसी भी नेताओं में आपसी तालमेल नहीं है.हर नेता की अलग लॉबी है,इन्ही लॉबी में बिहार के समूचे कार्यकर्ता बंटे हुए हैं.प्रदेश अध्यक्ष की खुद एक अलग लॉबी है,उस लॉबी में कुछ पूर्व पर्यवेक्षक और मौजूदा प्रदेश उपाध्यक्ष भी हैं,उन्ही के इशारे पर प्रदेश अध्यक्ष कार्य करते हैं,ऐसा कहना है प्रदेश कमिटी के एक प्रभावशाली सदस्य का.गोपालगंज,वैशाली,मुजफ्फरपुर,सीतामढ़ी,रोहतास,पटना आरा इत्यादि दर्जनों जिला में अध्यक्ष पद को लेकर आज भी विवाद थमा नहीं है.
२०१४ के लोकसभा के बिहार के सभी प्रत्याशी लगभग पार्टी छोड़ चुके हैं या जो कुछ हैं वो नाराज होकर पार्टी में कोई योगदान नहीं दे रहे हैं.पूर्व मंत्री प्रवीण अमानुल्लाह,बक्सर से चर्चित आप नेत्री और पूर्व प्रत्याशी डॉ श्वेता पाठक,सासाराम की उम्मीदवार गीता आर्या,मुंगेर के उम्मीदवार संदीप सिंह इत्यादि ने पार्टी छोड़ दिया है.कटिहार से विक्टर झा,काराकाट से ग़ुलाम कुन्दनम इत्यादि पार्टी के गतिविधियों से संतुष्ट नहीं हैं.
अभी हाल ही में 50 से अधिक सक्रीय आप कार्यकर्ता कांग्रेस में शामिल हो गए,उससे पहले छपरा से दर्जनों आप नेता कांग्रेस में चले गए.रोहतास के तेज तर्रार युवा नेता और पूर्व जिलाध्यक्ष रत्नेश रमण पाठक भी नाराज चल रहे हैं.नाराज नेताओं की लंबी फेहरिस्त है.
राजनितिक अनुभव का अभाव
लगातार चार दिनों के रिसर्च के बाद हमारी टीम ने यह observe किया है की आप बिहार के पास आज भी कोई बड़ा अनुभवी नेता नहीं है.पूरी टीम प्रोफेशनल की है लेकिन बिहार की सियासत में बिना अनुभवी नेतृत्व के अपनी पैठ बनाना गंगा में जौ बोने के बराबर है.खुद प्रदेश अध्यक्ष साहू जी दो बार शिवहर लोकसभा से उम्मीदवार रहे हैं दोनों बार उनकी बुरी तरह जमानत जप्त हुई है.पूर्व से भी किसी दल के बड़ी जिम्मेवारी का अनुभव नहीं रहा है.परदेश कमिटी में अधिकतर वैसे नौजवान हैं जो बड़ी बड़ी डिग्रियां तो ले रखें हैं लेकिन बिहार के राजनीतिक परिवेश के ज्ञान से कोशो दूर हैं.अब ऐसे हालत में बिहार का विकल्प बनना आम आदमी पार्टी के लिए आठवें अजूबे से कम नहीं है.
बिहार के कार्यकर्ताओं का पार्टी लेती रही है लाभ
बातचीत के दौरान पता चला की बिहार के कार्यकर्ताओं को आम आदमी पार्टी समय समय पर दुसरे प्रदेशों में बुलाकर प्रचार करवाती रही है.चाहे वह दिल्ली का चुनाव हो या पंजाब का ,छत्तीसगढ़ हो या मध्य प्रदेश हो हर जगह बिहार के कार्यकर्ता तन मन धन से लगकर पार्टी के लिए जाकर प्रचार करते रहे हैं.ताज़ा जानकारी के मुताबिक पार्टी ने एकबार पुनह बिहार के कार्यकर्ताओं को हरियाणा में चुनाव प्रचार के लिए बुलाया है.अब ऐसे में सवाल उठता है की क्या बिहार के कार्यकर्त्ता सिर्फ सदियों तक अन्य राज्यों में चुनाव प्रचार करते रहेंगे ?सबसे दिलचस्प बात यह है की आजतक अरविन्द केजरीवाल बिहार में राजनितिक सभा करने नहीं आये हैं,मतलब साफ़ है पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का ध्यान बिहार के राजनीती पर अबतक नहीं है.इससे कार्यकर्ताओं का मनोबल टुट रहा है.चुनाव में हिस्सा नहीं लेने से संगठन निष्क्रिय हो जाता है.शायद आप बिहार के असफल होने का एक बड़ा कारण यह भी है.
अबतक पूरा बिहार नहीं घूम पाए हैं प्रदेश अध्यक्ष
लगभग 06 महीने पहले प्रदेश अध्यक्ष बने श्री शत्रुधन साहू अबतक पूरा बिहार नहीं घूम पाए हैं.कई जिलो के कार्यकर्ता आज भी अपने प्रदेश अध्यक्ष की बाट जोह रहे हैं.लोकसभा टिकट के लिए 20 लाख जरुरी
बिहार के एक प्रदेश उपाध्यक्ष से हमारी टीम के एक सदस्य ने फोन पर संपर्क किया और एक लोकसभा से चुनाव लड़ने की इक्षा जाहिर की तो इशारों ही इशारों में नेता जी ने कहा की पहले 20 लाख खर्चा करना पड़ेगा फिर बात चीत होगी. हमारे पड़ताल में पता चला है की आप बिहार में बड़े पद के लिए मोटी रकम चंदा के रूप देनी पड़ती है.
बहरहाल दिल्ली से चंदा की बीमारी बिहार तक आ पहुची है,आप बिहार को उज्जवल राजनितिक भविष्य की शुभकामनाएं हमारी टीम के तरफ से.आगे फिर मिलेंगे किसी और दल के पोस्ट मार्टम के साथ.
धन्यवाद
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