आज इस लेख के माध्यम से बिहार में ब्राह्मण समाज के नाराजगी को समझने की कोशिस करेंगे.NDA और महागठबंधन के तरफ से लगभग उम्मीदवारों की घोषणा हो चुकी है.लेकिन ब्राह्मण समाज इस चुनाव में खुद को उपेक्षित महसूस करने लगा है.आइये समझते हैं पूरा मामला:
NDA के तरफ से सभी 40 उम्मीदवारों की घोषणा हो चुकी है.जिसमें जातीय समीकरण का अगर विश्लेष्ण किया जाये तो स्पष्ट हो जाता है की भाजपा के सहयोगी दल जदयू-और लोजपा ने ब्राह्मणों से दुरी बना लिया है.
जदयू बिहार में 17 सीट पर लड़ रही है लेकिन उनमें से एक भी सीट पर ब्राह्मण उम्मीदवार को जगह नहीं दिया है.हालाकिं जदयू ने सबसे ज्यादा टिकट पिछड़ा और अतिपिछड़ा वर्ग को दिया है.अगर पुरे सवर्ण समाज की बात की जाये तो मुंगेर और सिवान में सिर्फ सवर्णों को जगह दी गई है.सिवान में बाहुबली नेता अजय सिंह की पत्नी कविता सिंह(राजपूत) को टिकट दिया है और मुंगेर में ललन सिंह(भूमिहार) को उम्मीदवार बनाया गया है.
2014 के लोकसभा चुनाव में जदयू ने दो ब्राह्मणों को टिकट दिया था.जिसमें दरभंगा से संजय झा और पश्चिम चंपारण से प्रकाश झा जदयू के तरफ से उम्मीदवार थे.
लोजपा 06 सीट पर चुनाव लड़ रही है, जिसमें पांच सीट दो परिवारों में बंट गईं है जबकि एक सीट पर अल्पसंख्यक उम्मीदवार उतारा गया है.लोजपा ने भी किसी राजपूत या ब्राह्मण को टिकट नहीं दिया है.
भाजपा भी बिहार में 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है.जिसमें से 05 सीट राजपूत नेताओं को दी गई हैं,और दो सीट ब्राह्मण उम्मीदवारों के खाते में गई है.आरा से आर के सिंह,पूर्वी चंपारण से राधा मोहन सिंह,औरंगाबाद से सुशील सिंह,महाराजगंज से जनार्दन सिंह सिग्रीवाल,सारण से राजीव प्रताप रूडी राजपूत उम्मीदवारों की सूची में शामिल हैं. वहीँ बक्सर से अश्विनी चौबे और दरभंगा से गोपाल जी ठाकुर ब्राह्मण उम्मीदवारों की सूची में शामिल हैं.
2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने तीन ब्राह्मण उम्मीदवार उतारे थे जिसमें से दरभंगा से कीर्ति आजाद झा,बक्सर से अश्विनी चौबे और वाल्मीकिनगर से सतीश दुबे शामिल थे.
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अब बात करते हैं,महा गठबंधन के उम्मीदवारों की:
जदयू लोजपा की तरह महागठबंधन में सभी दलों ने ब्राह्मण नेताओं से खुद को किनारा कर लिया है.लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल 20 सीटों पर चुनाव लड़ रही है,जिसमें से 12 उम्मीदवार मुस्लिम और यादव को दिया है.यहाँ राजद ने MY समीकरण को साधने की कोशिश किया है.03 राजपूतों को भी राजद ने उम्मीदवार बनाया है जिसमें बक्सर से जगदानंद सिंह,वैशाली से रघुवंश सिंह और महाराजगंज से प्रभुनाथ सिंह के बेटे रंधीर सिंह को टिकट दिया है.हालाकिं ये तीनो नेता लालू यादव के करीबी और दरबारी रहे हैं.राजद ने के भी ब्राह्मण उम्मीदवार घोषित नहीं किया है.
2014 के चुनाव में राजद ने एक ब्राह्मण उम्मीदवार रघुनाथ झा को पश्चिम चंपारण से टिकट दिया था लेकिन इसबार इस सीट पर अभी पेंच है.हालाकिं रघुनाथ झा के बेटे अजीत झा और राजन तिवारी का नाम इस सीट को लेकर चर्चा में रहा है.
एक जमाने में बिहार कांग्रेस ब्राह्मण नेताओं की गढ़ मानी जाति थी लेकिन इसबार कांग्रेस पार्टी से भी ब्राह्मणों को निराशा हाथ लगी है.दरभंगा सीट से ब्राह्मण नेता कीर्ति आजाद झा का नाम चल रहा था लेकिन तेजस्वी यादव ने उस सीट पर अपने उम्मीदवार अब्दुल बरी सिदिकी को खड़ा कर दिया है.इस तरह अब दरभंगा से कीर्ति आजाद झा का पत्ता साफ़ हो गया है.अबतक जितने उम्मीदवारों की घोषणा कांग्रेस ने की है उसमें से एक भी ब्राह्मण नहीं हैं.आपको बताते चले की कांग्रेस पार्टी 09 सीट पर चुनाव लड़ रही है.
महागठबंधन के अन्य सहयोगी दल VIP -HAM-RLSP इत्यादि से इस बिरादरी ने कोई उम्मीद भी नहीं किया था,और हुआ भी वहीँ.इन तीनो दलों ने भी ब्राह्मण उम्मीदवारों को टिकट नहीं दिया है.
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बिहार की आबादी में ब्राह्मणों की ताकत
आबादी के हिसाब से बिहार के कुल आबादी की 5.7 फीसदी संख्या ब्राह्मण जाति की है.जबकि राजपूत वर्ग की संख्या 5.2 फीसदी है.ऐसे में ब्राह्मणों को टिकट नहीं देना बिहार के राजनीती में चर्चा का विषय बना हुआ है.इस वर्ग में अपने प्रतिनिधित्व को लेकर नाराजगी तमाम दलों से है.यह वर्ग बिहार में आर्थिक रूप से सम्पन्न है,लेकिन इस समीकरण से मायुश होकर खुद को राजनीती और चुनाव से जोड़ नहीं पा रहा है.
इस चुनाव में ब्राह्मण समाज को हासिये पर रखना,कहाँ तक किसकी राजनीती को मजबूत करती है और किसकी राजनीती को कमजोर,यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा.
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