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शहीद पिंटू के कुर्बानी पर भारी पड़ा चुनाव प्रचार,सत्ताधारी दल से कोई नहीं गया श्रधांजली देने - Siyasi Baat


जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में चल रहे मुठभेड़ में शहीद बिहार के बेगुसराय के CRPF इंस्पेक्टर पिंटू कुमार सिंह का शव आज सुबह पटना एअरपोर्ट पहुंचा.एअरपोर्ट पर पहले से ही शहीद पिंटू के परिजन इंतेजार कर रहे थे. शहीद पिंटू का अंत्येष्टि उनके पैतृक गावं में ही होना है. लेकिन परिजनों के गर्व पर उस समय पानी फिर गया जब उन्हें पता चला की उनके पिंटू को श्रधांजली देने के लिए पटना जिलाधिकारी,एसएसपी और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष श्री मदन मोहन झा के अलावा कोई भी नहीं आया है. जबकि आज ही NDA की संकल्प रैली उसी पटना में थी,जहाँ शहीद पिंटू का शव उन हाथों से कुछ फूलों के लिए तरसता रहा जो उनके लाशों के कीमत पर अपनी सीटें बढ़ाने का दावा करते हैं.


किसी ने कहा है “सर झुके बस उस शहादत में, जो शहीद हुए हमारी हिफाजत में” लेकिन कहने वाले को शायद आज लकवा मार गया होगा. पुलवामा हमले के बाद देशभक्ति नौजवानों और नेताओं में उछाल मार रहा है,शहीदों के प्रति आदर और सम्मान इस मुल्क के आवाम में और भी बढ़ गया है.हर तरफ शहीदों की चर्चा हो रही है,अलग अलग लोग-संस्थाएं-बच्चे-बूढ़े सब अपने अपने तरीके से शहीदों के सम्मान में सडकों पर उतर रहे हैं .



लेकिन आज पटना में जिस तरीके से शहीद पिंटू सिह के शाहदत पर चुनाव प्रचार भारी पड़ा,शायद ही इसे शहीद के परिजन भुला पाएंगे . सुबह सुबह पटना एअरपोर्ट पर शहीद का शव आया,उस समय पूरा पटना NDA के नेताओं से भरा पड़ा था.सत्ताधारी दल के सभी मंत्री-सांसद-विधायक सब उसी पटना में कल से ही अलग अलग तरीके से रैली के तैयारी में जुटे थे. किसी के आवास पर मटन बिरयानी की व्यवस्था थी तो कहीं पूरी बुनिया सब्जी की व्यवस्था थी,किसी नेता के यहाँ सिर्फ रसगुल्ले का ही इंतेजाम था,नेताओं के औकात के हिसाब से खाना का मेनू भी तैयार था. कहीं कहीं तो मनोरंजन का भी व्यवस्था हुआ था,जिससे कल रात में ही पहुचें हुए लोग रात बिता सकें.

लेकिन इनसब के बावजूद भी आज बेगुसराय के शहीद पर दो फुल चढाने की जरुरत न तो बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने समझी और न ही भाजपा का कोई बड़ा नेता.बड़े नेता की सूची में सिर्फ बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष श्री मदन मोहन झा मौजूद थे और पटना के डीएम तथा एसएसपी मौके पर मौजूद थे.यह दृश्य देखकर पिंटू के भाई और भौजाई आँखों में आंशु लिए सिस्टम को कोसते रहे.

गावं से पटना आते समय शहीद के परिजनों को भी गर्व था की हमारा पिंटू देश के लिए कुरबान हुआ है,वतन की हिफाजत के लिए लड़ते लड़ते मरा है,पूरा सरकार हमारे पिंटू के सम्मान में खड़ा रहेगा,पूरा बिहार गर्व करेगा लेकिन उनका यह भ्रम पटना एअरपोर्ट पर पहुचते ही टूट गया.तब उन्हें पता चला की यह देशभक्ति जिसे वो टीवी में देखते हैं,दरअसल दिखावटी होती है,यह अपने स्वार्थ और वोट बैंक के हिसाब से नेताओं के आत्मा में जागृत होती है.उन्हें यह देर से पता चला की जिसे वो गर्व से शहीद का शव समझते हैं,दरअसल इन नेताओं के लिए महज एक शव है. उस शव की अहमियत उतनी नहीं है जितनी उनके रैली की है.पिंटू का कुर्बानी उतना महत्वपूर्ण नहीं है जितना महत्वपूर्ण गाँधी मैदान की रैली के लिए भीड़ जुटाना है.

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आज अपने भाषण के शुरुआत में ही प्रधानमन्त्री जी ने पुलवामा हमले में बिहार के शहीद संजय सिन्हा और रतन ठाकुर का नाम तो लिया लेकिन शहीद पिंटू का नाम लेकर मंच से भी नमन करना मुनासिफ नहीं समझा.

शहीद पिंटू सिंह का शव बेगुसराय पहुचते ही लोगो का जनसैलाब उमड़ पड़ा उन्हें एक झलक देखने के लिए,वीर जवान पिंटू सिंह अमर रहे के नारों से पूरा इलाका गूंजता रहा.बेगुसराय में ही JNU के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने भी शहीद को श्रधांजली अर्पित किया और उनके परिजनों से मुलाकात कर ढाढस बंधाया.

न इंतिज़ार करो इन का ऐ अज़ा-दारो
शहीद जाते हैं जन्नत को घर नहीं आते



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Milan Tomic

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