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काराकाट में अनिल यादव बिगाड़ सकते हैं उपेंद्र कुशवाहा का खेल,त्रिकोणीय मुकाबला के आसार - SiyasiBaat

साल 2008 में अस्तित्व में आया काराकाट लोकसभा क्षेत्र भी इसबार चर्चा में रहने वाला है.पिछली बार इसी सीट से जीतकर उपेन्द्र कुशवाहा केंद्र में मंत्री बने थे.उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी राजद के कांति सिंह को 105241 मतों से हराया था.आज इस सीट की तमाम छोटी बड़ी बातें हमलोग करेंगे.

काराकाट लोकसभा सीट NDA के तरफ से जदयू के कोटा में गई है.जदयू ने यहाँ से पूर्व सांसद महाबली सिंह को मैदान में उतारा है.वहीँ दूसरी तरफ महागठबंधन के तरफ से यह सीट रालोसपा के खाते में है.हालाकि इस सीट पर रालोसपा के तरफ से अधिकारिक रूप से उम्मीदवार की घोषणा नहीं की गई है लेकिन संभावना है की पूर्व की तरह उपेन्द्र कुशवाहा खुद ही यहाँ से चुनाव लड़ेंगे.उपेन्द्र कुशवाहा की पत्नी स्नेहलता जी काराकाट में बहुत दिनों से जनसम्पर्क कर रही हैं.

2014 के चुनाव में यहाँ सीधा मुकाबला उपेन्द्र कुशवाहा(रालोसपा) बनाम कांति सिंह(राजद) का था. उपेन्द्र कुशवाहा को 338892 वोट मिला था जबकि कांति सिंह को 233651 वोट मिला था.जबकि जदयू के महाबली सिंह को 76709,बसपा से लड़ रहे संजय केवट को 45503 वोट मिला था और माले उम्मीदवार राजा राम को 32686 वोट मिला.
इसबार भी लड़ाई सीधे होने की संभावना है.उपेन्द्र कुशवाहा महागठ बंधन में चले गये हैं और अब मुकाबला जदयू के महाबली सिंह से होना है.उपेन्द्र कुशवाहा और महाबली सिंह दोनों कुशवाहा जाति से आते हैं. लेकिन स्थानीय बहुजन समाज पार्टी के नेता अनिल सिंह यादव ने लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है.अनिल सिंह यादव बहुजन समाज पार्टी के लगभग घोषित उम्मीदवार हैं.बीते एक वर्ष से वो इस क्षेत्र में मेहनत कर रहे हैं.अपने जाती के युवाओं में इनकी अच्छी पैठ है.महागठबंधन के समर्थक और विशेष कर राजद समर्थक मतदाता उपेन्द्र कुशवाहा से ज्यादा अनिल सिंह यादव को पसंद करने लगे हैं.नियमतः यादव वोटर राजद को या राजद समर्थित उम्मीदवार को मतदान करते हैं लेकिन इसबार इस क्षेत्र के यादव एकमात्र यादव उम्मीदवार अनिल सिंह यादव का माला जप रहे हैं. यादव बाहुल्य क्षेत्रों में अनिल सिंह यादव के दीवाने युवाओं से बात हुई तो उन्होंने बताया की "उन्हें जब भी कहीं बुलाया जाता है तो वो जरुर आते हैं,हर किसी के सुख दुःख में स्वतः पहुचते हैं"



जो यादव वोट उपेन्द्र कुशवाहा को ट्रांसफर होंना चाहिए था वो लगभग अनिल यादव को जा रहा है,वहीँ दूसरी तरफ बसपा का कैडर वोट भी उन्हें मिलेगा क्यूंकि वो बसपा के उम्मीदवार हैं.पिछले चुनाव में भी इस सीट पर बसपा को 45 हजार से ज्यादा वोट आया था.इस लिहाज से अनिल यादव इस चुनावी मुकाबले में सीधे सीधे उपेन्द्र कुशवाहा को नुकसान करते नजर आ रहे हैं.अगर यह सीट राजद के खाते में जाति तो शायद अनिल यादव को उतना वोट नहीं मिल पाता जितना अभी दिखाई दे रहा है.लेकिन सीट रालोसपा के खाते में जाने से राजद का यादव वोटर खुद को आत्मीयता के भाव से रालोसपा के साथ नहीं जोड़ पा रहा है.
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काराकाट लोकसभा क्षेत्र में २ लाख कुशवाहा मतदाता हैं,जबकि राजपूत और यादव मतदाताओं की संख्या भी २-२ लाख है. ब्राह्मण और भूमिहार मतदाताओं की संख्या 01 लाख 60 हजार के पार है.SC/ST मतदाता भी एक लाख के करीब हैं.
ऐसे में दो लाख कुशवाहा मतदाता का वोट दोनों कुशवाहा उम्मीदवारों में बंटेगा जबकि राजपूत वोट समय के अनुसार शिफ्ट होता रहता है.तो कुल मिलाकर सारा दारोमदार इसबार यादव वोटरों पर है,अगर वो उपेन्द्र कुशवाहा को खुलकर मतदान करेंगे तो बात बन सकती है वरना उपेन्द्र कुशवाहा का खेल बिगड़ते नजर आ रहा है,क्यूंकि इसबार उनके साथ मोदी मैजिक नहीं है.

लेकिन मौजूदा स्थिति को देखते हुए यह स्पष्ट है की इसबार काराकाट में अनिल यादव खेल बिगाड़ने के लिए काफी होंगे.




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Milan Tomic

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