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तो कौन होगा सासाराम का शहंशाह,मीरा कुमार या छेदी पासवान ? ग्राउंड जीरो की पड़ताल -Siyasi Baat

सासाराम सीट से भाजपा द्वारा सांसद छेदी पासवान को टिकट मिलने से क्षेत्र में चुनावी चर्चा ने अब रफ़्तार पकड लिया है.चौक चौराहों पर ,चाय की दुकानों पर,कोर्ट कचहरी में लोग चुनावी चर्चा करते नजर आ रहे हैं.हमारी टीम ने ऐसे ही चौक चौराहों पर चर्चा में भाग लेकर स्थानीय मतदाताओं का नब्ज टटोला है.आइये जानते हैं की आखिर कौन बनेगा इसबार सासाराम का शहंशाह ?

सासाराम सीट वैसे तो सुरक्षित सीट है लेकिन बिहार में यह सीट एक अलग महत्व रखता है.इसी सीट ने देश को प्रथम महिला लोकसभा अध्यक्ष दिया और उप प्रधानमन्त्री भी.हर बार की तरह इसबार भी चुनावी अखाड़े में भाजपा ने दूसरी बार अपने सांसद छेदी पासवान पर दांव लगाया है तो वहीँ कांग्रेस ने बाबूजी की विरासत को पुनः मीरा कुमार के कंधे पर रख दिया है.

अब आइये समझते हैं 2014 के माहौल को:
पिछले चुनाव में भी यहीं दोनों उम्मीदवार आमने सामने थे.देश में मोदी लहर उफान पर था.छेदी पासवान तुरंत भाजपा में आये थे.लोगों में विशेष रूप से युवाओं में अच्छे दिन आने वाले हैं नारा का क्रेज था.बुजुर्ग कांग्रेसी नेताओं के घर के बच्चे और युवा भी मोदी मोदी करते नजर आ रहे थे.कोई कुछ सुनने को तैयार नहीं था,हुआ भी वही नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने केंद्र में अपनी सरकार बनाई.छेदी पासवान भी चुनाव जीतकर संसद पहुँच गए.छेदी पासवान को वोट 366087 मिला जबकि मीरा कुमार को 302760. लगभग 64 हजार वोट से मीरा कुमार चुनाव हार गईं.

क्या थे स्थानीय कारण :
हालाकिं मीरा कुमार के इस हार के पीछे कई और कारण भी चर्चा में रहते हैं.तब शिवसागर प्रखंड के बड्डी गावं में राजपूत और दलित समाज में हिंसक झड़प हुई थी.जिसमें राजपूत समाज के लोगों का आरोप था की मीरा कुमार ने दलित समाज को मदद किया है.इसको लेकर तुरंन्त बाद हुए चुनाव में राजपूतों ने मीरा कुमार से बदला लेने की ठान ली.उस समाज के स्थानीय नेता अपने संसाधनों से घूम घूमकर मीरा कुमार को वोट न देने की अपील करने लगे.इसका असर भी दिखा और मीरा कुमार चुनाव हार गईं.


क्या है वरिष्ठ लोगों की राय ?
करगहर प्रखंड के एक वरिष्ठ नागरिक कहते हैं की,हमलोगों का पूरा जीवन बीता गया मीरा और छेदी को देखते देखते.लेकिन क्षेत्र का विकास जस का तस है.हर चुनाव में यही दोनों आ जाते हैं,मजबूरन दोनों में से ही किसी को वोट देना पड़ता है.थोडा कुरेदने पर रामाशीष राय कहते हैं की "एक चुनाव अपने बाबूजी के नाम पर जीत जाती हैं तो दूसरा इस क्षेत्र का मौसम वैज्ञानिक बनकर जीत जाता है"

चेनारी के अजय राम कहते हैं की "हमलोग कई बार मीरा जी को जीता के भेजे लेकिन वो जितने के बाद दिल्ली में रहती हैं,चाह कर भी मिल नहीं पाते हैं,सिर्फ चुनाव में नजर आती हैं,ऐसे में क्या कहा जाये की किसको वोट देंगे"

दर्जनों लोगों से बात की गई लेकिन सबने दोंनो उम्मीदवारों के प्रति नाराजगी ही जाहिर किया.सबकी बातों में यह आभास हुआ की उचित विकल्प इस क्षेत्र को नहीं मिल पा रहा है.

युवा क्या सोंचते हैं ?
इस क्षेत्र के युवा मतदाताओं से बात की गई तो उन्होंने कहा की "साहब मोदी अच्छा काम कर रहा है लेकिन हमारे सांसद क्षेत्र में  नहीं आते हैं" पाकिस्तान के सवाल पर एक युवा ने कहा की "पाकिस्तान से लोहा सिर्फ मोदी ही ले सकता है"

सबकी राय जानने के बाद यह स्पष्ट हो गया की पाकिस्तान पर कार्यवाई को लेकर मोदी पर, न की भाजपा पर और स्थानीय सांसद पर युवाओं का भरोषा बढ़ा है.लेकिन इतना जरुर है की इस क्षेत्र के लोग एक अच्छे उम्मीदवार की तलाश में हैं.न तो लोग मीरा कुमार को पसंद कर रहे हैं और न ही छेदी पासवान को.

इस लोकसभा क्षेत्र का मतदाता स्थानीय उम्मीदवारों को ज्यादा प्राथमिकता दे रहा है.इनके लिए दलगत नीतियाँ या राहुल गाँधी के भाषण या नरेन्द्र मोदी के योजना बहुत महत्व नहीं रखते हैं.

पिछले चुनाव में मोदी लहर थी,तब इस क्षेत्र में भाजपा कार्यकर्ताओं ने नारा गढ़ा था " मोदी जरुरी है,छेदी मज़बूरी है" लेकिन इसबार न तो मोदी लहर है और न ही हिन्दू मुस्लिम,राम मंदिर,गौ हत्या, इत्यादि अबतक कोई बहुत बड़ा फैक्टर बन पाया है.ऐसे में मुकाबला बहुत करीब का हो सकता है.

भाजपा कार्यकर्ताओं में नहीं है उत्साह:
उम्मीदवार को पहले भी मज़बूरी बनाकर जिताया गया था लेकिन इसबार भी पार्टी ने उसी उम्मीदवार को टिकट दिया है ,इसलिए हमलोगों में बहुत उत्साह अब नहीं है. ऐसा कहना है युवा मोर्चा के एक पदाधिकारी का.
उसने बताया की "हमलोग ललन पासवान (निवर्तमान विधायक,चेनारी) को उम्मीदवार के रूप में मान रहे थे या लगा की संजीव कुमार को टिकट पार्टी देगी.लेकिन ऐसा न करके पार्टी ने बेवकूफी कर दी है.छेदी पासवान बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी के साथ गद्दारी किये थे,इन्हे टिकट नहीं देना चाहिए था."

दो बार से धोखा खा रहे संजीव कुमार बन सकते हैं बागी और ललन पासवान कर सकते हैं भितरघात 
ख़बरें यह भी आ रही है की टिकट की आस लगाये चेनारी विधायक ललन पासवान भाजपा के साथ भितरघात करेंगे.उनको भाजपा ने आखिरी समय तक टिकट का अस्वासन दिया लेकिन टिकट नहीं दिया.

२०१४ के चुनाव से एक और युवा नेता संजीव कुमार टिकट के लिए प्रयासरत हैं लेकिन इन्हें भी पार्टी हर बार धोखा देती है.संन्जीव कुमार के बात चीत के अनुसार वो भी निर्दलीय भाजपा के खिलाफ ताल ठोक सकते हैं.अगर ऐसा हुआ तो संजीव कुमार भाजपा के युवाओं का वोट उड़ा ले जायेंगे,इनकी क्षेत्र के युवाओं में  अब ठीक पैठ हो गई है.इससे नुकसान भाजपा को होगा यह तय है.भाजपा के संगठन में भी छेदी पासवान का एंटी लॉबी है जो बागी नेताओं को मदद कर सकता है.अब देखना यह है की कौन कितना बड़ा हार जीत का फैक्टर बनता है इस  चुनाव में.

ऐसे दर्जनों वक्तव्य और चर्चा सुनने  के बाद यह साफ़ हो गया है की इसबार का मुकाबला बहुत कम वोट के अन्तराल  का होगा.ऐसे में एक एक वोट दोनों उम्मीदवारों के लिए महत्वपूर्ण होगा.फिर यह तय हो पायेगा की इस सीट कका शहंशाह कौन होगा.

इस क्षेत्र में सबसे आखिरी चरण यानी 19 मई को मतदान होना है और 23 मई को गिनती होगी.बहरहाल दिनों दिन सियासी समीकरण बनते बिगड़ते रहेंगे.


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Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

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