पटना के गर्दनीबाग धरना स्थल पर पिछले छ दिनों से आप नेत्री ज्योति
माला सहित तीन कार्यकर्ता अनशन पर बैठे हुए हैं.ये तीनो कार्यकर्ता नितीश कुमार के
इस्तीफे की मांग पर अड़े हुए हैं.आज अनशन का छठवा दिन है,अबतक जिला प्रशासन या सरकार के तरफ
से अनशनकारियों से वार्ता के लिए कोई नहीं आया है.तीन अनशनकारियों में से एक
नेत्री ज्योति माला की तबियत अब बिगड़ रही है.
विदित हो की जब से
मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड में अदालत ने सीबीआई को मुख्यमंत्री को भी जाँच के
दायरे में लेने का आदेश दिया है,तब से बिहार का सियासी पारा अचानक से बढ़ गया है.तमाम विपक्षी दल इस मुद्दे
को लेकर मुख्यमंत्री नितीश कुमार पर हमलावर हैं.सभी विपक्षी दल एकस्वर में नितीश
कुमार से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं.
इधर आम आदमी पार्टी के
नेत्री ज्योति माला ने गर्दनीबाग स्थित धरना स्थल पर इस्तीफे की मांग को लेकर अनशन
पर बैठ गईं.आज अनशन का छठवा दिन है बावजूद इसके उनकी सुधि लेने सरकार के तरफ से
अबतक कोई धरना स्थल पर नहीं पंहुचा है.इधर आप नेत्री की तबियत अचानक से बिगड़ना
शुरू हो गई है. दो दिनों से स्वास्थ्य जाँच के लिए भी कोई नहीं आया है.इधर आप
नेत्री अनशन तोड़ने को तैयार नहीं है और इस्तीफे की मांग पर अड़ी हुई हैं.
आम आदमी पार्टी के सभी
जिलों के नेता बारी बारी से पटना पहुँच कर अपने नेत्री का हौसला बढ़ाते नजर आ रहे
हैं.ढोलक झाल की थाप पर बिच बिच में कार्यकर्ता भ्रष्टाचार विरोधी गीत भी गा रहे
हैं.आते जाते राहगीरों का ध्यान एकबार जरुर इन अनशनकारियों पर पड़ रहा है और लोग इस
महिला नेत्री के हौसले को सलाम कर रहे हैं.
अनशन को लेकर पुरे बिहार
के आप कार्यकर्ताओं में आक्रोश व्याप्त है,अनशन के समर्थन में हर जिले में कैंडल मार्च और अन्य
कार्यक्रम किये जा रहे हैं.पार्टी के संयुक्त सचिव श्री आशुतोष मिश्रा कहते हैं की
सरकार गूंगी बहरी हो गई है,सरकार के मुखिया इतने घीनौने
मुकदमा में फंसे हैं,उन्हें नैतिक जिम्मेवारी लेते हुए अबतक
स्वतः इस्तीफा दे देना चाहिए थे लेकिन वो ऐसा न करके अपने पैर में खुद ही कुल्हाड़ी
मार रहे हैं.
लोकतंत्र में गांधीवादी
तरीके से अपनी बातों को सरकार तक पहुचाना ही लोकतंत्र की खूबसूरती होती है"
यह वाक्य खुद कभी मुख्यमंत्री नितीश कुमार जी बोला करते थे लेकिन आज उन्ही के राज्य
के राजधानी पटना में एक महिला नेत्री के सत्याग्रह को अनदेखा करना कहीं न कहीं
नितीश कुमार जी के कथनी और करनी में अंतर को जरुर सिद्ध करता है.
मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड के आरोपी एक डॉक्टर अश्विनी ने अपने वकील के जरिए शेल्टर होम के संचालन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भूमिका की जांच के लिए अर्जी दाखिल की थी। बता दें कि अश्विनी को पिछले साल नवंबर महीने में गिरफ्तार किया गया था। अश्विनी पर नाबालिग लड़कियों को ड्रग्स का इंजेक्शन देने का आरोप है।
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मुंबई
स्थित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज द्वारा किए गए सामाजिक अंकेक्षण रिपोर्ट
में मुजफ्फरपुर स्थित उक्त बालिका गृह में बच्चियों के यौन शोषण का मामला जून 2018 में सामने आया था। मामला सामने
आने के बाद राजनीतिक दबाव लगातार बढ़ने लगा, जिसके बाद 26
जुलाई, 2018 को राज्य सरकार ने मामले की जांच
सीबीआई को सौंप दी। ब्रजेश से अपने पति चंद्रशेखर वर्मा की निकटता को लेकर बिहार
की पूर्व समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा को अगस्त 2018 में
इस्तीफा देना पड़ा था। आर्म्स ऐक्ट के एक मामले में चंद्रशेखर और मंजू ने 29
अक्टूबर और 20 नवबंर, 2018 को अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया था। तभी से दोनों न्यायिक हिरासत में जेल
में बंद हैं।
बहरहाल
अब देखना यह है की आप नेत्री कबतक अपने प्राणों की बाजी लगाकर इस्तीफे की मांग पर
अड़ी रहती हैं ? और सरकार
भी कबतक इन अनशनकारी की सत्याग्रह से नजरे छिपा पाती है.
(पटना से
अमित कुमार की रिपोर्ट)
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