जी,हाँ आज हम बात करेंगे देश के ऐसे कांग्रेस नेत्री की जिनके सासाराम सीट पर बीते 15 वर्षों में कोई भी दूसरा दलित कांग्रेस उम्मीदवार सामने नहीं आकर कहा की "सासाराम सीट से मैं बनूंगा कांग्रेस उम्मीदवार".मुझे लगता है इस दिग्गज नेत्री का परिचय इतना काफी है.फिर भी आज हम मीरा कुमार और सासाराम सीट की वो तमाम बड़ी बातें आपको बताएँगे जो शायद आज की नई पीढ़ी नहीं जानती होगी.
बिहार में वैसे तो कुल 40 लोकसभा की सीटें हैं लेकिन सासाराम लोकसभा सीट कई मामलों में महत्वपूर्ण है.इसी सीट से बाबु जगजीवन राम 08 सांसद बने,1962 से 1984 तक लगातार 06 बार चुने गए.जगजीवन राम की पुत्री श्रीमती मीरा कुमार भी इसी सीट से लोकसभा के प्रथम महिला अध्यक्ष बनी थी.
मीरा कुमार देश के बड़े दलित नेता जगजीवन की पुत्री हैं.इनका जन्म 31 मार्च 1945 को दिल्ली में ही हुआ था.माता का नाम इन्द्राणी देवी था,इनका बचपन शुरू से ही दिल्ली में बिता.इनकी प्रारम्भिक शिक्षा दिल्ली के महारानी गायत्री देवी स्कुल में हुई इसके बाद दिल्ली के इन्द्रप्रस्थ कालेज से स्नातकोत्तर और लॉ की डिग्री हासिल की. 1973 में मीरा कुमार का चयन भारतीय विदेश सेवा में हुआ और लगातार भारत के तरफ से अधिकारी के रूप में विदेशों में सेवा देती रही.मीरा कुमार कई भाषा की जानकार हैं जिनमे हिंदी-इंग्लिश-भोजपुरी-पंजाबी-स्पेनिश इत्यादि.उर्दू पर भी मीरा जी की अच्छी पकड़ है.
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मीरा कुमार का विवाह 1968 में बिहार के प्रथम महिला मंत्री सुमित्रा देवी के पुत्र मंजुल कुमार से हुई,मंजुल कुमार भी लॉ की डिग्री ग्रहण किये हुए थे.यह विवाह पूर्णत अंतरजातीय था क्यूंकि उनके पति मंजुल कुमार कोइरी जाती से आते हैं जबकि मीरा कुमार दलित परिवार की बेटी थी.श्रीमती मीरा और मंजुल को एक पुत्र और दो पुत्रिया हैं.पुत्र का नाम अंशुल कुमार है तो बेटियों का नाम स्वाति कुमार और देवांगना कुमार है.
उस ज़माने के पत्रकारों के मुताबिक मीरा कुमार राजनीती में नहीं आई होती अगर उनके भाई सुरेश राम की राजनितिक करिअर समाप्त न हुई होती.बात 1978 की है इंदिरा की सरकार चली गई थी,जनता पार्टी के मोरार जी देसाई के अगुवाई में गैर कांग्रेसी प्रधानमन्त्री बने थे उस समय जगजीवन राम उप प्रधानमन्त्री और देश के रक्षा मंत्री थे.उनके बेटे सुरेश राम थोड़े आशिक मिजाज थे.उसी समय मेनका गाँधी के सूर्या मैगज़ीन में सुरेश राम और दिल्ली यूनिवर्सिटी की एक छात्रा सुषमा चौधरी का सेक्स स्कैंडल की तस्वीरें छाप दी गई.जगजीवन बाबु के राजनितिक जीवन में भूचाल आ गया.सियासी गलियारों में हडकम्प मच गया अंततः जगजीवन राम को इस्तीफा देना पड़ा था,और सुरेश राम की राजनितिक कैरियर लगभग उसी समय समाप्त हो गई थी.बाद में सुरेश राम ने अपने पहली पत्नी को तलाक देकर उसी लड़की से विवाह कर लिया था.हालाकिं पहली पत्नी भी पंजाबी थी और सुरेश राम से लगभग 15 वर्ष बड़ी थी ,यह विवाह भी बाबूजी के मर्जी के खिलाफ ही हुआ था.तब बाबूजी ने सुरेश को घर से निकाल दिया था और सुरेश अपनी पत्नी के साथ बाबूजी के बंगले के बाहर लगभग सात दिनों तक धरना देते रहे थे.बाद में पिता पुत्र में सुलह हो गई थी और दिल्ली के डिफेन्स कालोनी में सुरेश को एक बंगला बाबूजी ने दिया था रहने के लिए.विवाह के कुछ दिनों बाद सुरेश की एक बेटी हुई जिसका नाम मेधावी कीर्ति है ,भाजपा के शासनकाल में मेधावी हरयाणा सरकार में मंत्री भी बनी थी लेकिन बाद में अचानक से राजनीती से गायब हो गई.बाबूजी का दिया हुआ वह बंगला आज भी है और वह परिवार आज भी उसी में रहता है.
पिताजी के राजनितिक कैरियर समाप्त होने और भाई के बिगडैल व्यवहार से फजीहत झेलने के बाद मीरा कुमार को बाबु जी के राजनितिक विरासत को सँभालने के लिए नौकरी छोडकर आना पड़ा.राजीव गाँधी के कहने पर उनहोंने कांग्रेस की सदस्यता ली और उत्तर प्रदेश के बिजनोर से उप चुनाव लड़ी और सांसद बनकर संसद पहुच गई.यही से शुरू हुआ मीरा कुमार का राजनितिक सफ़र और उसके बाद और आठ बार अलग अलग सीटों से चुनाव लड़ी और पांच बार जीती.आइये जानते हैं कब और कहाँ से चुनाव लड़ी हैं मीरा कुमार?
वर्ष
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स्थिति
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सीट
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निकटतम उम्मीदवार
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1985
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जीत
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बिजनोर
उपचुनाव (उत्तर प्रदेश )
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रामविलास
पासवान(हारे )
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1989
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हार
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सासाराम
(बिहार)
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छेदी
पासवान (जीते)
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1991
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हार
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सासाराम
(बिहार)
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छेदी
पासवान (जीते)
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1996
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जीत
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करोलबाग
(दिल्ली)
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कालका
दास (हारे)
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1998
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जीत
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करोलबाग
(दिल्ली)
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सुरेन्द्र
पाल (हारे)
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1999
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हार
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करोलबाग
(दिल्ली)
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अनीता
आर्या (जीते)
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2004
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जीत
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सासाराम
(बिहार)
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मुनि
लाल (हारे)
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2009
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जीत
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सासाराम
(बिहार)
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मुनि लाल (हारे)
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2014
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हार
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सासाराम
(बिहार)
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छेदी
पासवान (जीते)
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UPA की सरकार में मीरा कुमार को कई महत्वपूर्ण स्थानों पर जगह मिला जिनमे 2004 में केन्द्रीय मंत्री(सामाजिक अधिकारिता और न्याय मंत्रालय),2009 को देश की प्रथम महिला लोकसभा अध्यक्ष बनी और सासाराम की पहचान पुरे देश भर में बनी.
वर्ष 2017 के राष्ट्रपति चुनाव में UPA के तरफ से राष्ट्रपति के लिए उम्मीदवार रही और NDA उम्मीदवार रामनाथ कोविंद से 34 प्रतिशत वोट से हार गईं.
इस वर्ष आम चुनाव होने हैं,बिहार ममे सीटों का भी बंटवारा नहीं हुआ है लेकिन फिर भी सासाराम सीट पर कोई रार नहीं है.नेता से लेकर आम जनता तक यह मानते हैं की मीरा जी के रहते कांग्रेस पार्टी कोई और उम्मीदवार नहीं भेज सकती है और न ही महा गठबंधन की हैसियत है की सासाराम सीट पर अपना दावा कर दे.फिलहाल अपने माता के लिए मीरा जी के पुत्र अंशुल कुमार क्षेत्र भ्रमण कर रहे हैं और लोगों से संपर्क कर रहे हैं.हलाकि NDA के तरफ से अबतक यह साफ़ नहीं हो सका है की सासाराम सीट पर कौन उम्मीदवार उतरेगा जदयू या भाजपा ?
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