आगामी 03 मार्च को पटना के गाँधी मैदान में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(NDA) की संकल्प रैली होनी है.इस रैली में प्रधानमन्त्री श्री नरेंद्र मोदी,बिहार के मुख्यमंत्री श्री नितीश कुमार,लोक जनशक्ति पार्टी के सुप्रीमो श्री रामविलाश पासवान समेत NDA के तमाम नेतागण शामिल होंगे और रैली को संबोंधित करेंगे.लेकिन इसी रैली के लिए बिहार के सासाराम में लगे एक पोस्टर लोगों के बिच चर्चा का विषय बना हुआ है.आइये जानते हैं क्या है पूरा मामला.
जैसे जैसे चुनावी सरगर्मी तेज हो रही है,रालोसपा की फजीहत वैसे वैसे सामने आ रही है.अब नया फजीहत पेश किया है चेनारी विधानसभा के विधायक ललन पासवान ने,03 मार्च को होने वाली NDA के संकल्प रैली के लिए रालोसपा के रोहतास इकाई द्वारा शहर के कई प्रमुख चौराहों पर पोस्टर लगाकर लोगों को संकल्प रैली में आने का न्योता दिया जा रहा है.इस पोस्टर के लगते ही शहर में कई तरह के चर्चे शुरू हो गये हैं.पोस्टर पर रालोसपा के सभी बागी नेताओं की तस्वीरें लगी हुई है,जिसमें ललन पासवान को रालोसपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बताया गया है तो संजीव श्याम सिंह को संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष,वहीँ हरलाखी के विधायक सुधांशु शेखर को बिहार का प्रदेश अध्यक्ष बताया गया है.इस पोस्टर पर न सिर्फ रालोसपा का नाम बल्कि चुनाव चिन्ह पंखा का भी इस्तेमाल किया गया है.
इससे अब यह स्पष्ट हो गया है की रालोसपा की मुश्किलें तेज हो गई हैं.हम आपको बताते चलें की रोहतास के काराकाट संसदीय क्षेत्र से ही रालोसपा के एक और राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री उपेन्द्र कुशवाहा जी भी सांसद हैं और रोहतास के ही सुरक्षित विधानसभा सीट चेनारी से ललन पासवान भी विधायक हैं.इसलिए रोहतास में इस तरह के पोस्टर लगना बहुत कुछ संकेत करता है.
बीते कुछ वर्षों से ललन पसवान उपेन्द्र कुशवाहा से नाराज चल रहे थे और रालोसपा के दो गुट में टूटने के बाद ललन पासवान अरुण गुट में शामिल हुए थे लेकिन अचानक से अरुण सिंह ने अपनी दूसरी पार्टी बना ली थी जिसके बाद ललन पासवान रालोसपा पर अपना दावा पेश करने लगे थे .हालाकिं पार्टी पर अधिकार को लेकर चुनाव आयोग में मामला अभीतक लंबित है.पार्टी के चुनाव चिन्ह पंखा पर किसका अधिकार है यह तय नहीं हो सका है.राष्ट्रीय लोक समता पार्टी पर उपेन्द्र कुशवाहा भी अपना हक जताते रहे हैं और उसी के नाम पर वो महागठ बंधन का हिस्सा भी बन चुके हैं.
जरुर पढ़ें: महागठबंधन में शुरू हुई महाभारत!
इधर कुछ दिनों से ललन पासवान लगातार जदयू और भाजपा के गलियारों में टहलते नजर आ रहे हैं.सूत्रों का मानना है की ललन पासवान अभी तक दोनों दलों के संपर्क में हैं और सासाराम सुरक्षित सीट से उम्मीदवारी के लिए पूरी ताकत लगाये हुए हैं.हालाकिं अभीतक यह तय नहीं हो सका है की सासाराम से जदयू लडेगा या भाजपा ? इसलिए ललन पासवान कभी प्रशांत किशोर से मिलते हैं तो कभी सुशील मोदी के आवभगत में दिखाई देते हैं.इससे पहले भी ललन पासवान एकबार सासाराम सीट से राजद के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं.जानकारों का मानना है की ललन पासवान की कोशिस यह है की सासाराम सीट से चाहे जदयू लड़े या भाजपा उम्मीदवार उन्ही को बनाया जाए.
दूसरी तरफ ललन पासवान की रणनीति यह है की खुद को मजबूत दलित नेता के रूप में पेश करना चाहते हैं.इसलिए रालोसपा पर अपना दावा ठोक कर अपने कद का परिचय इस चुनावी माहौल में देने का वो प्रयास कर रहे हैं.यह पोस्टर वार भी उसी रणनीति का हिस्सा है,हालाकि अब देखना यह दिलचस्प होगा की ललन पासवान के इस कलाकारी से उनको कितना सियासी लाभ होता है.
जरुर पढ़ें: महा गठबंधन में कितने महत्वपूर्ण हैं उपेन्द्र कुशवाहा?
वजह चाहे जो भी हो इस पोस्टर वार ने रालोसपा समर्थकों और नेताओं की नींद उड़ा दी है.लोगों में भी भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है की आखिर रालोसपा का नेता कौन है ? रालोसपा किसकी पार्टी है ललन पासवान की या उपेन्द्र कुशवाहा की? चौक चौराहों पर उपेन्द्र गुट के रालोसपा नेताओं को देखकर लोग मजा लेने से भी नही चुक रहे हैं.बहरहाल अब देखना यह दिलचस्प होगा की की पंखा छाप का इस्तेमाल चुनाव में कौन करता है उपेन्द्र कुशवाहा या ललन पासवान ? रालोसपा NDA की घटक दल है या महागठ बंधन का ?
(लेखक एक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)
(रोहतास जिला के मुख्यालय सासाराम के करगहर मोड़ पर लगा रालोसपा का पोस्टर)
जैसे जैसे चुनावी सरगर्मी तेज हो रही है,रालोसपा की फजीहत वैसे वैसे सामने आ रही है.अब नया फजीहत पेश किया है चेनारी विधानसभा के विधायक ललन पासवान ने,03 मार्च को होने वाली NDA के संकल्प रैली के लिए रालोसपा के रोहतास इकाई द्वारा शहर के कई प्रमुख चौराहों पर पोस्टर लगाकर लोगों को संकल्प रैली में आने का न्योता दिया जा रहा है.इस पोस्टर के लगते ही शहर में कई तरह के चर्चे शुरू हो गये हैं.पोस्टर पर रालोसपा के सभी बागी नेताओं की तस्वीरें लगी हुई है,जिसमें ललन पासवान को रालोसपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बताया गया है तो संजीव श्याम सिंह को संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष,वहीँ हरलाखी के विधायक सुधांशु शेखर को बिहार का प्रदेश अध्यक्ष बताया गया है.इस पोस्टर पर न सिर्फ रालोसपा का नाम बल्कि चुनाव चिन्ह पंखा का भी इस्तेमाल किया गया है.
इससे अब यह स्पष्ट हो गया है की रालोसपा की मुश्किलें तेज हो गई हैं.हम आपको बताते चलें की रोहतास के काराकाट संसदीय क्षेत्र से ही रालोसपा के एक और राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री उपेन्द्र कुशवाहा जी भी सांसद हैं और रोहतास के ही सुरक्षित विधानसभा सीट चेनारी से ललन पासवान भी विधायक हैं.इसलिए रोहतास में इस तरह के पोस्टर लगना बहुत कुछ संकेत करता है.
(चेनारी विधायक ललन पासवान)
बीते कुछ वर्षों से ललन पसवान उपेन्द्र कुशवाहा से नाराज चल रहे थे और रालोसपा के दो गुट में टूटने के बाद ललन पासवान अरुण गुट में शामिल हुए थे लेकिन अचानक से अरुण सिंह ने अपनी दूसरी पार्टी बना ली थी जिसके बाद ललन पासवान रालोसपा पर अपना दावा पेश करने लगे थे .हालाकिं पार्टी पर अधिकार को लेकर चुनाव आयोग में मामला अभीतक लंबित है.पार्टी के चुनाव चिन्ह पंखा पर किसका अधिकार है यह तय नहीं हो सका है.राष्ट्रीय लोक समता पार्टी पर उपेन्द्र कुशवाहा भी अपना हक जताते रहे हैं और उसी के नाम पर वो महागठ बंधन का हिस्सा भी बन चुके हैं.
जरुर पढ़ें: महागठबंधन में शुरू हुई महाभारत!
इधर कुछ दिनों से ललन पासवान लगातार जदयू और भाजपा के गलियारों में टहलते नजर आ रहे हैं.सूत्रों का मानना है की ललन पासवान अभी तक दोनों दलों के संपर्क में हैं और सासाराम सुरक्षित सीट से उम्मीदवारी के लिए पूरी ताकत लगाये हुए हैं.हालाकिं अभीतक यह तय नहीं हो सका है की सासाराम से जदयू लडेगा या भाजपा ? इसलिए ललन पासवान कभी प्रशांत किशोर से मिलते हैं तो कभी सुशील मोदी के आवभगत में दिखाई देते हैं.इससे पहले भी ललन पासवान एकबार सासाराम सीट से राजद के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं.जानकारों का मानना है की ललन पासवान की कोशिस यह है की सासाराम सीट से चाहे जदयू लड़े या भाजपा उम्मीदवार उन्ही को बनाया जाए.
दूसरी तरफ ललन पासवान की रणनीति यह है की खुद को मजबूत दलित नेता के रूप में पेश करना चाहते हैं.इसलिए रालोसपा पर अपना दावा ठोक कर अपने कद का परिचय इस चुनावी माहौल में देने का वो प्रयास कर रहे हैं.यह पोस्टर वार भी उसी रणनीति का हिस्सा है,हालाकि अब देखना यह दिलचस्प होगा की ललन पासवान के इस कलाकारी से उनको कितना सियासी लाभ होता है.
जरुर पढ़ें: महा गठबंधन में कितने महत्वपूर्ण हैं उपेन्द्र कुशवाहा?
वजह चाहे जो भी हो इस पोस्टर वार ने रालोसपा समर्थकों और नेताओं की नींद उड़ा दी है.लोगों में भी भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है की आखिर रालोसपा का नेता कौन है ? रालोसपा किसकी पार्टी है ललन पासवान की या उपेन्द्र कुशवाहा की? चौक चौराहों पर उपेन्द्र गुट के रालोसपा नेताओं को देखकर लोग मजा लेने से भी नही चुक रहे हैं.बहरहाल अब देखना यह दिलचस्प होगा की की पंखा छाप का इस्तेमाल चुनाव में कौन करता है उपेन्द्र कुशवाहा या ललन पासवान ? रालोसपा NDA की घटक दल है या महागठ बंधन का ?
(लेखक एक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)
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