बिहार में भाजपा ने अपने उम्मीदवारों की सूची अभी जारी नहीं की है लेकिन NDA का कौन दल किस सीट से चुनाव लडेगा यह अधिकारिक रूप से घोषणा कर दिया गया है.इसबार भाजपा-जदयू 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं तो वहीँ लोजपा के खाते में कुल 06 सीट है.गिरिराज सिंह की नवादा सीट भी लोजपा के खाते में दे दी गई है.
गिरिराज सिंह बिहार के ऐसे भाजपा नेता हैं जिनकी पहचान उनके विवादित बयानों से होती रही है.वो अपने बडबोलेपन की वजह से अक्सर विवादों में भी रहते हैं. अब उनकी देश भर में पहचान एक फायर ब्रांड हिंन्दु नेता के रूप में हो गई है.पिछले चुनाव में गिरिराज सिंह नवादा से लड़कर सांसद बने थे लेकिन इसबार उनकी सीट नवादा अब लोजपा के हिस्से में चले जाने से नाराज हैं.ख़बर है की गिरिराज सिंह को बेगुसराय से चुनाव लड़ाया जा सकता है.
गिरिराज सिंह बिहार के भूमिहार नेता हैं,इनका गृह जिला लखीसराय है.२०१४ के चुनाव में गिरिराज सिंह बेगुसराय से ही लड़ना चाहते थे लेकिन उन्हें नवादा से लड़ाया गया लेकिन इसबार वो नवादा से लड़ना चाहते हैं तो उन्हें बेगुसराय भेजा जा रहा है.लेकिन गिरिराज सिन्घ किसी भी हालत में बेगुसराय से नहीं लड़ना चाहते हैं.
दरअसल बेगुसराय से कन्हैया कुमार सीपीआई के उम्मीदवार हो सकते हैं.सीपीआई बिहार में महा गठबंधन के साथ है.कन्हैया कुमार खुद भूमिहार परिवार से आते हैं.बेगुसराय वामपंथी विचारधारा का पोषक रहा है.कन्हैया कुमार का देश भर में मोदी विरोधी चेहरा बना हुआ है.सीपीआई हर हालत में कन्हैया कुमार को बेगुसराय से उमीदवार बनाना चाहती है.पिछले दो महीने से कन्हैया कुमार बेगुसराय में प्रचार भी कर रहे हैं.
कन्हैया कुमार जो मोदी के विचारधारा और संघ के धुर विरोधी वहीँ दूसरी तरफ फायर ब्रांड हिंदुत्व और देशभक्ति की बात करने वाले गिरिराज सिंह.यहीं वजह है की गिरिराज सिंह कन्हैया कुमार के सामने नहीं लड़ना चाहते हैं.उन्हें यह भय है की कहीं कन्हैया कुमार से वो पराजित न हो जाये तो फिर वो जनता को कैसे कहेंगे की वो पाकिस्तान चले जाएँ.
अभी हाल ही में गिरिराज सिंह ने बयान दिया था की पटना में होंने वाली मोदी जी के संकल्प रैली में जो नहीं आएगा वो गद्दार होगा और उसके बाद गिरिराज सिंह स्वयं उस संकल्प रैली में नहीं आये.इसके बाद सोशल मीडिया पर गिरिराज सिंह की खूब मजे ली गई.
नवादा सीट लोजपा के खाते में जाते ही गिरिराज सिंह का दर्द छलक गया और हर सवाल के जवाब में एक ही बात करने लगे "मैं कार्यकर्ता था ,कार्यकर्ता हूँ और कार्यकर्ता रहूँगा". लेकिन पत्रकारों के कुरेदने पर गिरिराज सिंह ने कहा की " मैंने नवादा में बहुत काम किया है,इसको लेकर मैंने प्रदेश अध्यक्ष से २०० बार बोला है,फिर भी ऐसा क्यूँ हो गया ,समझ में नहीं आ रहा है"
जानकारों का मानना है की बिहार भाजपा उन्हें जानबुझकर कन्हैया कुमार के सामने बलि का बकरा बनाकर चढ़ा रही है.गिरिराज सिंह के विवादित बयानों से प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी भी नाराज रहते थे .ऐसे में एकमात्र बड़े भूमिहार नेता को ठिकाने लगाने के लिए इससे बेहतर रणनीति नहीं हो सकती है.पटना के संकल्प रैली में बीमारी का बहाना बनाकर न आने की बात को भी अब नाराजगी से जोड़ कर देखा जाने लगा है.
हलाकि अभी यह स्पष्ट नहीं हो सका है की बेगुसराय से कन्हैया कुमार ही महा गठबंधन के उम्मीदवार होंगे और गिरिराज सिंह भी बेगुसराय से ही लड़ेंगे.लेकिन अबतक के जानकारी के अनुसार स्थिति यही हैं.सबकुछ साफ़ सूची आने के बाद ही हो पायेगा .
बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार भी गिरिराज सिंह को बहुत पसंद नहीं करते हैं.ऐसे में गिरिराज सिंह अब बुरी तरह फंस गए हैं,अब आगे देखन यह दिलचस्प होगा की गिरिराज सिंह को अगर बेगुसराय भेजा जाता है तो वो चुनाव लड़ते हैं या नहीं ?
कन्हैया बनाम गिरिराज पर होगी देश की नजर
अगर सचमुच ऐसा हुआ तो बेगुसराय सीट पर न पुरे बिहार बल्कि देश भर की नजर होगी.यह लड़ाई भाजपा की प्रतिष्ठा बन जाएगी.पुरे चुनाव का माहौल बदल जायेगा,मुद्दे गायब हो जायेंगे.कन्हैया और गिरिराज अपनी अपनी बातों में महारथ हासिल किये हुए हैं.
आनेवाले एक दो दिनों सबकुछ साफ़ हो जायेगा की क्या होगा बेगुसराय में,कौन लडेगा सीपीआई या राजद ?भाजपा से गिरिराज लड़ेंगे या कोई और ?
गिरिराज सिंह बिहार के ऐसे भाजपा नेता हैं जिनकी पहचान उनके विवादित बयानों से होती रही है.वो अपने बडबोलेपन की वजह से अक्सर विवादों में भी रहते हैं. अब उनकी देश भर में पहचान एक फायर ब्रांड हिंन्दु नेता के रूप में हो गई है.पिछले चुनाव में गिरिराज सिंह नवादा से लड़कर सांसद बने थे लेकिन इसबार उनकी सीट नवादा अब लोजपा के हिस्से में चले जाने से नाराज हैं.ख़बर है की गिरिराज सिंह को बेगुसराय से चुनाव लड़ाया जा सकता है.
गिरिराज सिंह बिहार के भूमिहार नेता हैं,इनका गृह जिला लखीसराय है.२०१४ के चुनाव में गिरिराज सिंह बेगुसराय से ही लड़ना चाहते थे लेकिन उन्हें नवादा से लड़ाया गया लेकिन इसबार वो नवादा से लड़ना चाहते हैं तो उन्हें बेगुसराय भेजा जा रहा है.लेकिन गिरिराज सिन्घ किसी भी हालत में बेगुसराय से नहीं लड़ना चाहते हैं.
दरअसल बेगुसराय से कन्हैया कुमार सीपीआई के उम्मीदवार हो सकते हैं.सीपीआई बिहार में महा गठबंधन के साथ है.कन्हैया कुमार खुद भूमिहार परिवार से आते हैं.बेगुसराय वामपंथी विचारधारा का पोषक रहा है.कन्हैया कुमार का देश भर में मोदी विरोधी चेहरा बना हुआ है.सीपीआई हर हालत में कन्हैया कुमार को बेगुसराय से उमीदवार बनाना चाहती है.पिछले दो महीने से कन्हैया कुमार बेगुसराय में प्रचार भी कर रहे हैं.
कन्हैया कुमार जो मोदी के विचारधारा और संघ के धुर विरोधी वहीँ दूसरी तरफ फायर ब्रांड हिंदुत्व और देशभक्ति की बात करने वाले गिरिराज सिंह.यहीं वजह है की गिरिराज सिंह कन्हैया कुमार के सामने नहीं लड़ना चाहते हैं.उन्हें यह भय है की कहीं कन्हैया कुमार से वो पराजित न हो जाये तो फिर वो जनता को कैसे कहेंगे की वो पाकिस्तान चले जाएँ.
अभी हाल ही में गिरिराज सिंह ने बयान दिया था की पटना में होंने वाली मोदी जी के संकल्प रैली में जो नहीं आएगा वो गद्दार होगा और उसके बाद गिरिराज सिंह स्वयं उस संकल्प रैली में नहीं आये.इसके बाद सोशल मीडिया पर गिरिराज सिंह की खूब मजे ली गई.
नवादा सीट लोजपा के खाते में जाते ही गिरिराज सिंह का दर्द छलक गया और हर सवाल के जवाब में एक ही बात करने लगे "मैं कार्यकर्ता था ,कार्यकर्ता हूँ और कार्यकर्ता रहूँगा". लेकिन पत्रकारों के कुरेदने पर गिरिराज सिंह ने कहा की " मैंने नवादा में बहुत काम किया है,इसको लेकर मैंने प्रदेश अध्यक्ष से २०० बार बोला है,फिर भी ऐसा क्यूँ हो गया ,समझ में नहीं आ रहा है"
जानकारों का मानना है की बिहार भाजपा उन्हें जानबुझकर कन्हैया कुमार के सामने बलि का बकरा बनाकर चढ़ा रही है.गिरिराज सिंह के विवादित बयानों से प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी भी नाराज रहते थे .ऐसे में एकमात्र बड़े भूमिहार नेता को ठिकाने लगाने के लिए इससे बेहतर रणनीति नहीं हो सकती है.पटना के संकल्प रैली में बीमारी का बहाना बनाकर न आने की बात को भी अब नाराजगी से जोड़ कर देखा जाने लगा है.
हलाकि अभी यह स्पष्ट नहीं हो सका है की बेगुसराय से कन्हैया कुमार ही महा गठबंधन के उम्मीदवार होंगे और गिरिराज सिंह भी बेगुसराय से ही लड़ेंगे.लेकिन अबतक के जानकारी के अनुसार स्थिति यही हैं.सबकुछ साफ़ सूची आने के बाद ही हो पायेगा .
बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार भी गिरिराज सिंह को बहुत पसंद नहीं करते हैं.ऐसे में गिरिराज सिंह अब बुरी तरह फंस गए हैं,अब आगे देखन यह दिलचस्प होगा की गिरिराज सिंह को अगर बेगुसराय भेजा जाता है तो वो चुनाव लड़ते हैं या नहीं ?
कन्हैया बनाम गिरिराज पर होगी देश की नजर
अगर सचमुच ऐसा हुआ तो बेगुसराय सीट पर न पुरे बिहार बल्कि देश भर की नजर होगी.यह लड़ाई भाजपा की प्रतिष्ठा बन जाएगी.पुरे चुनाव का माहौल बदल जायेगा,मुद्दे गायब हो जायेंगे.कन्हैया और गिरिराज अपनी अपनी बातों में महारथ हासिल किये हुए हैं.
आनेवाले एक दो दिनों सबकुछ साफ़ हो जायेगा की क्या होगा बेगुसराय में,कौन लडेगा सीपीआई या राजद ?भाजपा से गिरिराज लड़ेंगे या कोई और ?
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