तमाम कयासों पर विराम लगाते हुए भाजपा ने डेहरी विधानसभा के उपचुनाव के लिए ओबरा से पूर्व विधायक सत्यनारायण यादव को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है.यह नाम हालाकिं पहले से ही रेस में था लेकिन अब पुष्टि होने के साथ ही सियासी माहौल डेहरी का एकदम से ताज़ा हो गया है.आखिर क्यूँ डेहरी उपचुनाव में सत्यनारायण यादव को ही टिकट मिला,इसकी पड़ताल आज हमलोग करेंगे.
इस उपचुनाव के लिए आधा दर्जन से अधिक उम्मीदवार भाजपा के टिकट के लिए लार टपका रहे थे,जिसकी जितनी पहुँच थी,क्षमता था उतना सबने प्रयास भी किया.लेकिन आखिरी दौड़ में दो ही उम्मीदवार रह गये थे जिसमें जदयू के नेता राजू गुप्ता और पूर्व विधायक सत्यनारायण यादव भी शामिल थे.सूत्रों की माने तो दोनों नेताओं के लिए अलग अलग लॉबी पैरवी में लगी थी लेकिन यादव जी की लॉबी बाजी मार गई.
(पूर्व विधायक सत्यनारायण सिंह यादव की फाइल फोटो) |
इस उपचुनाव के लिए आधा दर्जन से अधिक उम्मीदवार भाजपा के टिकट के लिए लार टपका रहे थे,जिसकी जितनी पहुँच थी,क्षमता था उतना सबने प्रयास भी किया.लेकिन आखिरी दौड़ में दो ही उम्मीदवार रह गये थे जिसमें जदयू के नेता राजू गुप्ता और पूर्व विधायक सत्यनारायण यादव भी शामिल थे.सूत्रों की माने तो दोनों नेताओं के लिए अलग अलग लॉबी पैरवी में लगी थी लेकिन यादव जी की लॉबी बाजी मार गई.
दरअसल राजू गुप्ता वाली लॉबी का तर्क यह था वैश्य समाज का वोट अच्छा है,ऊपर से पूर्व विधायक प्रदीप जोशी को मात देने के लिए वैश्य को ही टिकट देना चाहिए.दूसरी तरफ यादव जी के लॉबी का तर्क था की यादव को पहले कभी भी यहाँ प्रतिनिधित्व नहीं मिला है,ऊपर से यादव बाहुल्य क्षेत्र है.राजद के उम्मीदवार से यादव समाज पहले से खफा है ऐसे में यादव को टिकट दिया जाता है तो भाजपा यादवों का वोट भी जुटा लेगी और भाजपा का जो है सो है ही.
अंदर की बात यह है की सत्यनारायण यादव के लिए पूरी बैटिंग सांसद राम कृपाल यादव कर रहे थे,भूपेन्द्र यादव और नित्यानंद राय भी बाद में सहमत हो गये और टिकट सत्यनारायण यादव को ही मिला.सूत्रों के मुताबिक सत्यनारायण यादव और राम कृपाल यादव की मित्रता पुरानी है,और ऐसे समय में मित्रता काम आई.
इधर सत्यनारायण यादव के टिकट मिलते ही डेहरी उपचुनाव की लड़ाई त्रिकोणीय हो गई है.राजद उम्मीदवार फिरोज हुसैन और पूर्व विधायक प्रदीप जोशी भी मुख्य मुकाबले में हैं.राजद उम्मीदवार को वोट देना यादवों के लिए पहले मज़बूरी थी लेकिन अब सत्यनारायण यादव के आने से यादवों को एक विकल्प मिल गया है.उस क्षेत्र के यादव चाहते थे की राजद यहाँ से किसी यादव को ही टिकट दे लेकिन ऐसा नहीं हुआ और टिकट इलियास हुसैन के बेटे को ही मिला.जिसको लेकर राजद कार्यकर्ता अभी भी नाराज हैं.इसी नाराजगी का फायदा उठा कर भाजपा ने गहरी चाल चल दिया है.
डेहरी में भाजपा के लिए चुनौती कम नहीं है,1990 से लगातार यहाँ भाजपा लडती रही है.दो बार विनोद सिंह चुनाव हारे एकबार स्वयं गोपाल नारायण सिंह भी यहाँ से हार चुके हैं ऐसे में आजतक भाजपा का कमल डेहरी विधानसभा में नहीं खिल पाया है.इसबार देखना यह होगा की नारायण कितने सत्य साबित होते हैं.
कौन हैं इंजिनियर सत्यनारायण यादव ?
सत्यनारायण सिंह यादव वर्ष 2005 में औरंगाबाद के ओबरा विधानसभा से विधायक बने थे.राजद के प्रदेश महासचिव भी रहे लेकिन वर्ष 2010 में निर्दलीय सोमप्रकाश सिंह ने उन्हें हरा दिया.मूल रूप से ओबरा थाना के मझिगावं के रहने वाले सत्यनारायण यादव स्वभाव से मिलनसार और व्यावहारिक हैं.फ़िलहाल डेहरी में रहकर एक निजी स्कुल चलाते हैं.डेहरी में इनका व्यक्तित्व बहुत पसंद किया जाता है.नरेन्द्र मोदी की सरकार बनने के बाद सत्यनारायण सिंह यादव अपने 61 समर्थकों के साथ 12 जुलाई 2014 को राम कृपाल यादव के कहने पर भाजपा की सदस्यता नंदकिशोर यादव के समक्ष ले लिया था.तब से लेकर आजतक वो अपने बारी का इन्तेजार करते रहे.अब जाकर उन्हें भाजपा ने टिकट दिया है हालाकिं अगर वो जीत भी गए तो उनका कार्यकाल महज डेढ़ वर्षों के लिए ही होगा.
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