बिहार में कुल ४० लोकसभा की सीटें हैं.जैसे जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है,बिहार की सियासत वैसे वैसे करवट ले रही है.एकतरफ NDA है तो दूसरी तरफ महागठबंधन लेकिन महागठबंधन में सीटों को लेकर पेंच फंस गया है.क्या इस पेंच से NDA की राह आसान होगी? आइये इस पुरे पेंच को विस्तार से समझते हैं.
2019 के आम चुनाव में बिहार की लड़ाई दो गुटों में बंट गई है.एक तरफ NDA जिसका नेतृत्व बिहार में नितीश कुमार कर रहे हैं तो दूसरी तरफ लालू के लाल तेजस्वी यादव मुख्य भूमिका में खड़े हैं.
NDA ने अपने सीटों का बंटवारा कर लिया है.भाजपा-17,जदयू-17 और लोजपा-06 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।लेकिन महागठबंधन में अभी भी सीटों का बँटवारा नहीं हुआ है.सीटों को लेकर भीतर महाभारत शुरू है.
कौन कौन है महागठबंधन में ?
राष्ट्रिय जनता दल(RJD),अखिल भारतीय काँग्रेस,राष्ट्रिय लोक समता पार्टी(RLSP),हिंदुस्तान आवाम मोर्चा(HAM),विकाशसील इंशान पार्टी (VIP) के आलावें शरद यादव की पार्टी,भाकपा माले,बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी मिलकर एकसाथ लड़ेगी जिसका नाम महागठबंधन दिया गया है।
सभी पार्टियों का सीटों को लेकर अपने अपने मांग और पसंद है.लेकिन सीटों का बंटवारा न होने से सभी दल उहापोह की स्थिति में हैं.अभी तक यह भी तय नहीं हुआ है की कौन कितनी सीटों पर लड़ेगा ?
अभी तक यह भी तय नहीं हुआ
है की कौन कितनी सीटों पर लड़ेगा ? सभी दल खुद को बड़ा और मजबूत पेश करने में जुटे हैं.ऐसे में दिनों दिन
फजीहत बढ़ते चली जा रही है.
चुनाव पूर्व महा गठबंधन के प्रमुख घटक
दल रालोसपा और हम में भगदड़ मची है.उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी पहले ही टूट चुकी है.उनके
दोनों विधायक ललन पासवान और सुधांशु शेखर पहले पार्टी छोड़ चुके हैं.वहीँ रालोसपा
के एकमात्र एमएलसी संजीव श्याम सिंह भी पार्टी को अलविदा कह चुके हैं.रालोसपा के
कार्यकारी अध्यक्ष नागमणि कुशवाहा भी उपेन्द्र कुशवाहा का साथ छोडकर अलग हो गए.ऐसे
में उपेन्द्र कुशवाहा अलग थलग पड़ गए हैं.
वही दूसरी तरफ एक और घटक दल जीतन राम
मांझी की पार्टी “हम” में भी वहीँ रोग लगा हुआ है.पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वृषिण
पटेल और प्रवक्ता दानिश रिजवान ने एक ही दिन इस्तीफा दे दिया.पार्टी के युवा
प्रदेश अध्यक्ष और महिला प्रदेश अध्यक्ष ने भी त्यागपत्र दे दिया है.ऐसे में हम और
रालोसपा दोनों दल अचानक से सकते में आ गये हैं और खुद को कमजोर महशुस करने लगे हैं,हालाकि
दोनों दल के मुखिया अपनी कमजोरी छुपाने पर ध्यान दे रहे हैं.ताकि इस समय उन्हें
कोई नुकसान नहीं उठाना पड़े.दोनों दलों के टूट का लाभ सीटों के बंटवारे में राजद
लेगी,इसमें कही दो राय नहीं है.
ताज़ा जानकारी के मुताबिक जीतन राम
मांझी खुद राजद से नाराज चल रहे हैं.NDA से उन्हें खुला ऑफर भी दिया जा चूका है.दो
दिन पहले तेज प्रताप यादव भी मांझी के आवास जाकर उनको मनाने का प्रयास किया लेकिन
मांझी चुप रह कर कोई रिस्क नहीं लेना चाहते हैं.मीडिया में इस मुलाकात को तेज
प्रताप यादव ने औपचारिक मुलाकात बताया था.
अब बात कांग्रेस की करें तो कांग्रेस
पार्टी ने राजद के लिए बिहार में अलग मुश्किल खड़ी कर दी है.अभी किसी दल में सीटों
का बंटवारा तय नहीं हुई है लेकिन कांग्रेस पार्टी के कुछ अघोषित उम्मीदवार अपने
प्रचार में भी जुट गए हैं.इन उम्मीदवारों की सूची में मुंगेर से खुद को कांग्रेस
उम्मीदवार बताने वाले अनंत सिंह का नाम पहले पायदान पर है.दूसरी तरफ सासाराम सीट
से मीरा कुमार ने भी अपना प्रचार शुरू कर दिया है.उनके बेटे अंशुल कुमार पिछले एक
महीने से क्षेत्र में भ्रमण कर रहे हैं.
वहीँ दरभंगा के भाजपा से निलंबित
सांसद कीर्ति आजाद झा 15 फरवरी को कांग्रेस की सदस्यता लेंगे और 18 को दरभंगा में
रोड शो करेंगे.
ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है की जब
महागठबंधन में सीट शेयरिंग हुई नहीं तो फिर दर्जनों उम्मीदवार किस आधार पर खुद को
कांग्रेस उम्मीदवार बता कर अपने अपने क्षेत्रों में प्रचार कर रहे हैं?
उपेन्द्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी
के अलावा शरद यादव और VIP पार्टी के अध्यक्ष मुकेश सहनी भी खुद को कम नहीं आंक रहे
हैं.मुकेश सहनी भी दरभंगा सीट से दावा ठोक रहे हैं.
कल के ताज़ा बयानों के मुताबिक जीतन
राम मांझी ने कहा है की वो उपेन्द्र कुशवाहा से अब्दे नेता हैं और उन्हें कुशवाहा
से कम सीट कतई मंजूर नहीं होगा.
जितने दल उतने पेंच तेजस्वी यादव के
सामने फंसे हैं.सबसे बड़ी पेंच उनके बड़े भाई तेज प्रताप यादव खुद भी हैं.राजद
सूत्रों के मुताबिक लालू परिवार में भी सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है.बड़े भाई तेज
प्रताप यादव ने भी अपने उम्मीदवारों के नाम की अलग सूची बना रखी है.जिससे निपटना तेजस्वी यादव के
लिए आसान नहीं होगा.
अब देखना यह बड़ा दिलचस्प होगा की महागठबंधन
के अगुआ तेजस्वी यादव इन तमाम चुनौतियों से कैसे निपटेंगे और कांग्रेस की अकड़ से
कितना दबेंगे ?
आने वाले कुछ समय में सबकुछ संभवतः
स्पष्ट हो जाना चाहिए.
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