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महागठबंधन में कितने महत्वपूर्ण हैं उपेन्द्र कुशवाहा?

बिहार के सियासत में उपेन्द्र कुशवाहा का नाम शायद ही किसी परिचय का मोहताज हो,फिर भी अगर नही जानते हैं तो थोडा परिचय करा देते हैं.उपेन्द्र कुशवाहा राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और फ़िलहाल बिहार के काराकाट लोकसभा सीट से सांसद भी हैं.थोड़े दिन पहले नरेंद्र मोदी सरकार मानव संसाधन विभाग के राज्यमंत्री भी थे.फ़िलहाल मोदी जी को अलविदा कह के महागठबंधन में शामिल हुए हैं.इतना काफी है. 


अब बात करते हैं उपेन्द्र कुशवाहा के कद की,आखिर बिहार के महागठ बंधन में उपेन्द्र कुशवाहा की क्या भूमिका है और बिहार के सियासत में श्री कुशवाहा जी कितने महत्वपूर्ण हैं अपने गठबंधन के साथियों के लिए खासकर कांग्रेस और राजद के लिए.

अगर आप लगभग दो तीन वर्ष पीछे जाते हैं तो उपेन्द्र कुशवाहा को लगातार राजनीती में झटके पे झटके मिलते रहे हैं,इस मायने में वो बहादुर हैं की अभी भी सम्भले हुए हैं.राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का गठन जहानाबाद के भूमिहार सांसद श्री अरुण सिंह और उपेन्द्र कुशवाहा ने मिलकर किया था .रालोसपा NDA में शामिल हुई और उसके खाते से तीन सांसद जीतकर पहुचे जिसमे सीतामढ़ी से रामकुमार शर्मा,जहानाबाद से अरुण सिंह और काराकाट से खुद उपेन्द्र कुशवाहा जीतकर दिल्ली पहुचे.लेकिन अरुण सिंह और उपेन्द्र कुशवाहा की जोड़ी जमी नही और तमाम तरह के मतभेद सामने आने लगे.धीरे धीरे झगड़ा इतना बढ़ा की अरुण सिंह ने पार्टी पर अपना दावा ठोक दिया और कुशवाहा जी ने अपना.मामला चुनाव आयोग में आज भी लंबित है.इधर अरुण सिंह अपने गुट के नेताओं के साथ अपनी अलग पार्टी बना ली जिसका नाम राष्ट्रीय समता पार्टी (सेक्युलर) तय हुआ . तबतक बिहार विधानसभा चुनाव में रालोसपा ने दो सीटें जीत ली थी.जिसमें से चेनारी (सुरक्षित) से ललन पासवान और हरलाखी से बसन्त कुमार विधानसभा पहुचें.ललन पासवान अरुण गुट में शामिल हुए और बसंत कुमार उपेन्द्र गुट में.तुरंत बाद बसंत कुमार की मृत्यु हो गई और २०१६ में हरलाखी सीट पर दोबारा उपचुनाव हुआ और सुधांशु शेखर निर्वाचित हुए.

इधर बिहार की राजनीती में एक और किरदार की एंट्री हुई जिसका नाम प्रशांत किशोर है.प्रशांत किशोर को शायद यह टारगेट दिया गया था की उपेन्द्र कुशवाहा के पार्टी को तहस नहस कर दो.लगभग हुआ भी वही ,प्रशांत किशोर ने रालोसपा के सभी बड़े नेताओं को अपने जदयू में शामिल करा दिया जिसमे हरलाखी के विधायक सुधांशु शेखर ,विधान पार्षद संजीव श्याम सिंह और संगठन के कई पदाधिकारी भी शामिल हुए .हालाकि ललन पासवान अभी भी अधिकारिक रूप से शामिल नही हुए हैं .चर्चा यह है की ललन पासवान सासाराम लोकसभा से टिकट के लिए सौदा कर रहे हैं .खैर किसी तरह NDA से अलग होकर उपेन्द्र कुशवाहा तेजस्वी के साथ आये और अपनी राजनितिक सम्पदा को पुनः बचाने में जुट गये हैं .

पुरे बिहार में यह चर्चा है की कुशवाहा को बर्बाद करने में नितीश कुमार जी जी जान से लगे हुए हैं .कुछ विशेषज्ञों की माने  तो  नितीश कुमार जी की कुशवाहा से पुरानी दुश्र्मनी है.इधर कुशवाहा जी खुद को बिहार के एकमात्र स्वघोषित कुशवाहा समाज का नेता मानने लगे और अपने बिरादरी को एकजुट करने लगे .आगे कितनी सफल होती है उनकी यह जाति वाली राजनीती यह तो समय ही तय करेगा .अब बात करेंगे महा गठबंधन में उनकी औकात की . 

02 फरवरी 2019 को पटना में रालोसपा ने शिक्षा सुधार को लेकर राजभवन मार्च का आयोजन किया था ,इस कार्यक्रम का नेतृत्व खुद कुशवाहा जी कर रहे थे,ऐसा सदियों में कभी कभार ही होता है जब कोई खुद मानव संसाधन विभाग का राज्य मंत्री रहते हुए चुप चाप रहता है और पद छोड़ते ही शिक्षा में सुधार के लिए आंदोलनरत हो जाता है.मार्च को पुलिस ने डाकबंगला चौराहा पर रोक दिया तो रालोसपा के कार्यकर्ताओं ने पुलिस के साथ बदसलूकी शुरू कर दिया .फिर क्या था ,पुलिस बिहार की थी आव देखा न ताव ,जमकर धुनाई हुई ,जो जितना ज्यादा उछले उतना ज्यादा कुटे  गए,कुछ ही देर बाद श्री कुशवाहा अपने घायल साथियों के साथ PMCH में भर्ती हो गए .इस पुरे घटना में श्री कुशवाहा को कोई चोट नहीं पहुची थी लेकिन फिर भी वो भर्ती हुए .


बिहार की राजनीती में कुशवाहा जी के मार्च पर हुए लाथिचार्ज की खूब निंदा हुई ,नेताओं का और शुभ चिंतकों का कुशवाहा जी से मिलने का सिलसिला शुरू हो गया .
 03 फरवरी 2019 को पटना में राहुल गाँधी की जन आकांक्षा रैली थी ,रैली में तेजस्वी यादव भी शामिल हुए .लगभग 25 हजार की भीड़ जुटी ,भले ही अनंत सिंह की महिमा से लेकिन 25 हजार लोग आये थे .भाषणबाजी हुई ,आरोप प्रत्यारोप चला .लेकिन अपने गठबंधन के सहयोगी श्री कुशवाहा जी का हाल चाल लेने न तो श्री राहुल गाँधी गए और न ही तेजस्वी यादव .जबकि उसी पटना में दोनों नेता उसदिन मौजूद थे . राजनीती के लिए यह बात बहुत कुछ संकेत देती है .महा गठबंधन में तेजस्वी यादव के राजद और राहुल गाँधी के कांग्रेस के बाद उपेन्द्र कुशवाहा के रालोसपा का ही स्थान है .अगर ऐसे में दोनों बड़े नेताओं ने कुशवाहा का हाल चाल लेना मुनासिफ नहीं समझा तो इसमें दो ही वजह हो सकती है .
या तो उनलोगों को पता था की कुशवाहा जी स्वस्थ हैं और जान बुझकर मामले को हवा दे रहे हैं,अत मिलने का कोई औचित्य नहीं है या फिर वो कुशवाहा जी को उतना अहमियत नहीं दे रहे हैं जितना चाहिए .खैर अब यह तो आगे पता चल पायेगा .

कुशवाहा जी के उपर लाठीचार्ज के विरोध में रालोसपा कार्यकर्ताओं ने 04 फरवरी 2019 को बिहार बंद बुलाया .हलाकि आंशिक रूप से इसका असर भी हुआ लेकिन इस बंद में भी महा गठबंधन के बड़े नेता शामिल होते नहीं दिखाई दिए .प्रश्न यहाँ भी खड़ा हो गया कुशवाहा के अहमियत पर .

बिहार बंद वाली इवेंट में ठीक तुरंत बाद श्री कुशवाहा जी अचानक से स्वस्थ हो जाते हैं और अपने कार्यकर्ताओं को धन्यवाद देते हुए PMCH से घर चलते बने .बाकी आप सब समझदार हैं.यह सब क्यूँ और कैसे होता है .

इस आलेख से बहुत सारी बातें आपको स्पष्ट हो गयी होंगी ,जैसे बात का बतंगड़ कैसे बनाया जाता है ,राजनितिक स्टंट कैसे किया जाता है .रही बात कुशवाहा जी के औकात की तो वो तो राहुल और तेजस्वी ने बता ही दिया है ,आगे देखते जाइये .

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Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

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