प्रशांत किशोर
यह वो नाम है जिसे शायद ही कोई नहीं जानता हो. इसलिए बिना परिचय बात को आगे
बढ़ाते हैं.रोहतास जिला के छोटे से गावं कोनार में जन्मे प्रशांत किशोर देश के उस
सियासत में महज 41 वर्ष की उम्र में वो जगह बना लेंगे जिसके लिए अरबों खरबों
लुटाने के बाद,पूरी जिन्दगी खपाने के बाद भी लाखों लोग
लाइन में आज भी खड़े हैं,यह बात शायद किसी ने सोंचा भी न
होगा.यहीं सफलता शायद उनके खिलाफ उत्पन्न षड्यंत्रों का कारण भी है,यह बात स्वयं PK भी जानते हैं
(प्रशांत किशोर की फाइल फोटो) |
प्रशांत किशोर
की पहचान देश विदेश भर में एक कुशल चुनावी रणनीतिकार के रूप में है.समय समय पर अलग
अलग दलों के लिए काम करते आये हैं.2014 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमन्त्री नरेंद्र
मोदी के लिए काम किये हालाकि इससे पहले भी मोदी को गुजरात में मुख्यमंत्री बनने
में अपने कुशल प्रबंधन से सहयोग करते रहे थे.2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में
नितीश कुमार के लिए कैंपेन किये,अपने IPAC नामक संस्था के माध्यम से पटना के
स्ट्रैंड रोड स्थित एक बड़े नेता के बंगले में अपने टीम के साथ जमे रहे और नितीश
कुमार को मुख्यमंत्री बनाने में सफल रहे.इस तरीके से PK की डिमांड देश भर में बढ़ने
लगी.
बीते हफ्ते PK
के एक वक्तव्य से जदयू के कुछ नेताओं ने PK के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है,वो लगातार
PK पर हमलावर हैं.इस पुरे विवाद को समझने के लिए आपको PK के बारे में कुछ और जानना
पड़ेगा.
प्रशांत की जदयू
में एंट्री और एक के बाद एक सफलता
अचानक से
प्रशांत किशोर सितम्बर 2018 में जदयू की सदस्यता ग्रहण करते हैं और नितीश कुमार
उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद पर बैठा देते हैं.तब से लेकर आजतक PK पूरी टीम
के साथ जदयू को मजबूती प्रदान करने में जुटे हैं. पटना के स्ट्रैंड रोड में PK को
एक बंगला सरकार ने दे दिया है जहाँ से वो लगातार पार्टी को बिहार में बढ़ाने में
जुटे हैं.
युवाओं को जदयू से जोड़ने का जिम्मा
PK जदयू में आते
हैं युवाओं को पार्टी से जोड़ना शुरू कर दिए .उन्होंने एक लाख गैर राजनितिक
पृष्ठभूमि वाले युवाओं को राजनीती से जोड़ने का लक्ष्य रख क्र काम करना शुरू किया.इसके
लिए बाकायदा सोशल मीडिया पर कैंपेन चलाये जा रहे हैं,टीम PK नाम से पेज भी बनाई गई,जिसके
माध्यम से युवाओं को राजनीती से जुड़ने का आग्रह किया जाता है.PK से मिलने का अलग
अभियान चलता है,जो युवा PK से मिलना चाहते हैं उनके लिए अलग वेबसाइट तैयार की गई
है जहाँ से इक्षुक युवा आग्रह करते हैं,फिर बाकायदा PK के ऑफिस से मेसेज और फोन
कॉल के जरिये संपर्क साधा जाता है,मिलने का समय आवंटित किया जाता है और आसानी से
युवा PK से मिल कर अपनी बात रखते हैं.यह पूरा अभियान खूब तरीके से संचालित किया
जाता है.इस तरीके से PK हर दिन पटना में युवाओं से मिलते हैं और जदयू की सदस्यता
दिलाते हैं.
इसके अलावे भी
प्रशांत की टीम सोशल मीडिया के मध्यम से राजनीती और सामाजिक कार्यों में.अलग अलग
आंदोलन में सक्रीय युवा नेताओं का डाटा बेस भी तैयार करती है और फिर उनसे संपर्क कर
के प्रशांत किशोर से मिलवाया जाता है.
अबतक लगभग चालीस
हजार से अधिक युवाओं को प्रशांत अपने साथ जोड़ चुके हैं.प्रशांत बताते हैं की एक
लाख युवाओं को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है जिनमे से दस हजार युवाओं को सीधे
मुखिया,जिला परिषद,नगर निगम और नगर पालिकाओं में वार्ड पार्षद,चेयरमैन बना कर नेता
बनाऊंगा.प्रशांत किशोर के इसी मकसद के लिए आगामी नगर परिषदों और पंचायत के चुनाव
भी दलीय आधार पर कराने की बात भी लगभग तय हो चुकी है.
छात्रसंघ चुनाव
में दिखी प्रशांत की नेतागिरी
बीते दिनों पटना
यूनिवर्सिटी के छात्र संघ चुनाव में PK खूब चर्चा में रहे,तमाम राजनितिक दलों के
छात्र नेता हावी थे इसके बावजूद भी जदयू का उम्मीदवार पटना विश्वविद्यालय का
अध्यक्ष बन गया.जदयू के बड़े नेता भी मानते हैं की इसमें पूरी जिम्मेवारी PK को ही
दी गई थी जिसमें वह सफल रहे.
रालोसपा को तितर
बितर करने में भी सफल रहे PK
जानकारों का
मानना है की PK को जिस उद्देश्य से नितीश कुमार जदयू की जिम्मेवारी सौंपे थे उसमें
वो लगातार सफलता ही हासिल कर रहे हैं. उपेन्द्र कुशवाहा के पार्टी के सभी बड़े
नेताओं,विधायक,एमएलसी सबको जदयू में लाने में भी अहम् भूमिका PK की ही थी.सुधान्सू
शेखर,ललन पासवान इत्यादि सबसे PK ने ही बात किया था.
PK के खिलाफ
जदयू में अघोषित लॉबिंग
PK के जदयू में
आने के बाद से ही पार्टी में नंबर दो की हैसियत रखने वाले एक बड़े नेता अचानक से
हासिये पर चले गये.उस बड़े नेता को बिहार में विपक्ष वसूली बाबु के नाम से पुकारती
है.PK के आने से पहले संगठन की पूरी जिम्मेवारी उन्ही वसूली बाबू के जिम्मे थी,न
सिर्फ संगठन बल्कि अफसरों के ट्रांसफर पोस्टिंग की अर्जी भी वहीँ ली जाति थी. PK
के एंट्री से जिनका कद कुतर गया उन्ही नेताओं द्वारा लगातार प्रशांत के खिलाफ
गुटबाजी होती रही है.पहले से जमे नेताओं ने दबी जुबान में कहना शुरू कर दिया की
नितीश कुमार ने जदयू को ब्राह्मण के हाथों सौंप दिया,ऐसे दुष्प्रचार समेत फिजूल की
बातें चलने लगी.यह सब प्रायोजित था,लेकिन चुकी नितीश कुमार प्रशांत के कार्यशैली
से प्रसन्न थे इसलिए बात आगे नहीं बढ़ी और एंटी प्रशांत लॉबी मौके की तलाश में जुट
गई.
पुरे बिहार में
जदयू के बैनर पोस्टर पर न के बराबर प्रशांत दीखते हैं,इसके पीछे की वजह यह है की
संगठन में जो नेता जिस नेता का चहेता होता
है,या जिसके करीब होता है उसका फोटो वह लगाता है.लेकिन जदयू के पुराने नेताओं में
प्रशांत का कोई करीबी नहीं है इसलिए प्रशांत अक्सर पोस्टर से गायब रहते हैं.
भविष्य की
राजनितिक पृष्ठभूमि तैयार करने जुटे हैं प्रशांत
प्रशांत बखूबी
जानते हैं की अभी अपने एंटी लॉबी से भिड़ने का सही वक्त नहीं है.इसलिए वो खुद को
मजबूत करने में जुटे हैं.एक लाख नए युवाओं की फौज इसीलिए प्रशांत तैयार करने में
जुटे हैं,यहीं फौज होगी जो प्रशांत को बिहार में मजबूत करेगी.संगठन में कोई जनाधार
न होने के कारण ही प्रशांत अभी किसी भी रैली या सभा में शामिल नहीं होते हैं.क्यूंकि
उन्हें पता है की उनके खिलाफ कही भी कोई षड्यंत्र हो सकता है.
जानिए क्या है
नया विवाद
बीते दिनों
मुजफ्फरपुर के आम्रपाली स्टेडियम में युवाओं द्वारा आहूत एक सभा में प्रशांत बोल
रहे थे,उन्होंने कहा की “अगर आप राजनीति में आने की
सोच रहे हैं, तो जनता दल यूनाइटेड से बेहतर
कोई प्लेटफॉर्म नहीं है. मैं व्यक्तिगत रूप से आपके लिए जो कर सकता हूं, आपके क्षमता के अनुसार चुनावी राजनीति में आगे बढ़ाने के लिए जो कुछ बन
पड़ेगा वो करेंगे. अगर आपको राजनीति में सदस्य बनने आना है, संगठन
में जगह पाना है तो उसके लिए मेरे पास आने की जरूरत नहीं है. लेकिन अगर आप 10 साल
में, 5 साल में मुखिया बनना चाहते हैं, जिला परिषद के चेयरमैन बनना चाहते हैं, एमएलए और
एमपी बनना चाहते हैं तो मैं आपको इनवाइट कर रहा हूं, आइए अगर
आपमें क्षमता है तो मेरी जो थोड़ी बहुत बुद्धि शक्ति है वह आपके क्षमता के साथ
मिलकर आपके सपनों को साकार करने में लगाई जा सकती है. आप जो पेपर में जो पढ़ते हैं
कि मैंने इस व्यक्ति की और उस व्यक्ति की चुनाव में जितने में मदद की, वह विवाद का विषय हो सकता है कि किसने कितनी मदद की. मगर मैं इतना जरूर कह
सकता हूं कि तो अगर मैं किसी को मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री बनने में मदद कर सकता
हूं तो बिहार के नौजवानों को मुखिया और एमएलए और एमपी बना सकता हूं.''
हलाकि इसमें विवाद वाली कोई
बात नहीं है,लेकिन मौके की तलाश में बैठे एंटी लॉबी के नेताओं ने बिना मौका गवाएं
प्रशांत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा की नकी
पार्टी के रोल मॉडल नीतीश कुमार हैं. बतौर नीरज कुमार किसी को एमएलए-एमपी बनाना
जनता के हाथ मे हैं. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी इस बयान से इत्तेफाक नहीं रखती
है,
पार्टी सिर्फ माहौल बनाती है, नेता बनाना तो
जनता के हाथ में है. उन्होंने कहा कि वे नीतीश कुमार के नेतृत्व में काम करके
अच्छा महूस करते हैं.
क्या है असली वजह?
इस विवाद के पीछे जदयू के
पुराने और जमे नेताओं में व्याप्त असंतोष सबसे बड़ा कारण है.उन्हें यह लगता है की
प्रशांत की बढती कद और नितीश कुमार का समर्थन उन्हें नंबर दो से नंबर एक पर न कर
दे!हालाकि जदयू के भविष्य पर एक और बड़ा प्रश्न है नितीश के बाद जदयू का मालिक कौन
? शायद इस सवाल के जवाब के रूप में प्रशांत के उभरते स्वरुप को जदयू नेता पचा नहीं
पा रहे हैं.आगे भविष्य में क्या होगा यह तो समय ही बताएगा लेकिन देखना यह दिलचस्प
होगा की कल छल में माहिर अपने एंटी लॉबी के चक्रव्यूह में प्रशांत फंस जाते हैं या
भेदते हुए आगे बढ़ जाते हैं ?
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