लोकसभा चुनाव के अधिसूचना के साथ ही साथ चुनाव आयोग ने डेहरी विधानसभा के उपचुनाव की तिथि भी जारी कर दिया है.उपचुनाव की तारीख आते ही अचानक से डेहरी शहर की राजनीतिक तापमान बढ़ गई है.आज हम आपको बताते हैं की आखिर अबतक का क्या इतिहास रहा है इस विधानसभा क्षेत्र का और इसबार उपचुनाव में किस्मत आजमाने के लिए कौन कौन से लोग लाइन में खड़े हैं.पूरा विश्लेष्ण निचे पढ़िए
डेहरी विधानसभा सीट की इतिहास एक नजर में,कब कौन जीता और कौन हारा ?यह जानना जरुरी है,बिना इसको समझे मौजूदा राजनितिक समीकरण समझना थोडा मुश्किल होगा.
वर्ष
|
जीते
|
पार्टी
|
प्राप्त मत
|
हारे
|
पार्टी
|
प्राप्त मत
|
1951
|
Basawan
Sinha
|
SP
|
10662
|
Abdul Qaiyum
Ansari
|
INC
|
9950
|
1957
|
Basawan
Sinha
|
PSP
|
11427
|
Hazari Singh
|
INC
|
9030
|
1962
|
Abdul
Qaiyum Ansari
|
INC
|
31224
|
Basawan Sinha
|
PSP
|
11845
|
1967
|
Abdul
Qaiyum Ansari
|
INC
|
23230
|
Basawan Sinha
|
PSP
|
14825
|
1969
|
Riyasat
Karim
|
INC
|
19146
|
Basawan Sinha
|
PSP
|
16108
|
1972
|
Abdul
Qaiyum Ansari
|
INC
|
35679
|
Basudeo
Narayan Singh
|
BJS
|
14284
|
1977
|
Basawan
Sinha
|
JNP
|
22813
|
Khalid Anwar
Ansari
|
INC
|
18023
|
1980
|
Md.
Illiyas Hussain
|
JNP(SC)
|
15640
|
Khursid Anwar
|
INC(I)
|
13607
|
1985
|
Khalid
Anwar Ansari
|
INC
|
32303
|
Md. Illiyas Hussain
|
LKD
|
25407
|
1990
|
Md.
Illiyas Hussain
|
JD
|
34030
|
Vinod Singh
|
BJP
|
15730
|
1995
|
Md.
Illiyas Hussain
|
JD
|
40864
|
Vinod Singh
|
BJP
|
30808
|
2000
|
Md.
Illiyas Hussain
|
RJD
|
57123
|
Gopal Narayan
Singh
|
BJP
|
44336
|
2005(feb.)
|
Md.
Illiyas Hussain
|
RJD
|
46196
|
Radha Krishna
Singh
|
LJP
|
23940
|
2005(Oct.)
|
Pradeep
Kumar Joshi
|
IND
|
70558
|
Md. Illiyas Hussain
|
RJD
|
27281
|
2010
|
Jyoti
Rashmi
|
IND
|
43634
|
Md. Illiyas Hussain
|
RJD
|
33819
|
2015
|
Md.
Illiyas Hussain
|
RJD
|
49402
|
Jitendra Kumar
Alias Rinku Soni
|
RLSP
|
45504
|
2019
|
?
|
?
|
?
|
?
|
?
|
?
|
डेहरी सीट से 06 बार विधायक बनने वाले इलियास हुसैन्न फ़िलहाल जेल में बंद हैं.लेकिन उनके जेल जाने के बाद कई स्थानीय राजद नेता भी इस सीट पर दावेदारी ठोकने लगे हैं,इसकी चर्चा हम आगे करेंगे.पहले यह जानिए की उपर दिए गये पुरे रिकॉर्ड से क्या कुछ स्पष्ट होता है.
अगर आंकड़ों को देखा जाये तो अबतक 16 चुनाव हुए जिसमें से 11 बार मुस्लिम उम्मीदवार की जीत हुई,जिसमें से अकेले 06 बार स्वयं इलियास हुसैन अलग अलग दल से जीतते रहे.सबसे दिलचस्प है की आजतक इस सीट पर भाजपा कभी जीती नहीं है,विनोद सिंह और गोपाल नारायण सिंह जैसे राजपूत नेताओं को इलियास हुसैन के समक्ष घुटने टेकना पड़ा.पिछले चुनाव में यह सीट भाजपा के घटक दल रालोसपा के खाते में थी,फिर भी यह सीट रालोसपा हार गई.इसबार रालोसपा महा गठबंधन के साथ है तो यह सीट भाजपा या जदयू लड़ेगी,यहीं कारण है की चुनाव लड़ने की इक्षा पाल रहे दर्जनों नेता टिकट के जुगाड़ में महीनों से घूम रहे हैं.
इलियास हुसैन की बेटी जदयू में चली गई
इलियास हुसैन की बेटी आसमां परवीन ने जुलाई २०१८ में ही जदयू ज्वाइन कर लिया है,उन्होंने नितीश कुमार को चाचा बताते हुए उनके शराब बंदी से आकर्षित होकर जदयू ज्वाइन किया है,ऐसा उन्होंने के तब पत्रकारों को बताया था.लेकिन फिलहाल वो डेहरी उपचुनाव में कहाँ हैं ,उनकी क्या भूमिका होगी.यह स्पष्ट नहीं हो पाया है.हलाकि अभी यह भी तय नहीं हुआ है की डेहरी उपचुनाव कौन लडेगा भाजपा या जदयू.
राजद में भी दर्जनों दावेदारी
चुकी यह सीट राजद की है लेकिन अब राजद के कद्दावर नेता जेल में हैं तो यादव समाज से कई नेता उभर कर सामने आ गये और अपनी अपननी दावा पेश करने लगे हैं.यादव नेताओं की नूराकुश्ती पिछले एक महीने से उस क्षेत्र में शुरू है,सबकी अपनी अपनी दावेदारी है इसी बिच राजद के ही एक राजपूत नेता भी रेस में कूद जाते हैं,अभी लोबिंग शुरू ही हुई थी की इलियास हुसैन के पुत्र फिरोज हुसैन अपने पिता के सीट पर दावा पेश करते हुए खुद को टिकट के रेस सबसे आगे कर लेते हैं.फिरोज हुसैन लगातार जनसम्पर्क कर रहे हैं,संगठन के लोगों के साथ मीटिंग कर रहे हैं.नतीजन बाबु साहेब थोडा कमजोर पड़ने लगते हैं,संगठन के उस बैठक में बाबु साहेब नहीं जाते हैं जहाँ फिरोज हुसैन पहुचते हैं.फिलहाल राजद के तरफ से फिरोज हुसैन टिकट की रेस में सबसे आगे हैं.पिछले इतिहास और जातीय समीकरण देखा जाए तो इस सीट के लिए राजद के पास मुस्लिम उम्मीदवार के अलावे दूसरा कोई विकल्प नहीं है.
भाजपा के ढेर युवा चेहरे भी हैं लाइन में
भाजपा आजतक डेहरी सीट पर नहीं जीत पाई है फिर भी रालोसपा के अलग हो जाने से भाजपा के स्थानीय नेता इस उपचुनाव को खुद के लिए अवसर समझ रहे हैं.टिकट के लिए एक युवा व्यवसाई समेत एक ब्राह्मण भाजपा नेता भी पटना से लेकर डेहरी तक एक किये हुए हैं.इधर खबर यह भी है की एक पूर्व यादव समाज से एक पूर्व विधायक भी अंदर ही अंदर जुगाड़ भिड़ाने में जुटे हैं,अब कहाँ तक सफल होते हैं यह तो वक्त ही बताएगा.
पिछले उम्मीदवार भी रालोसपा छोड़ चुके हैं
2015 के विधानसभा चुनाव में दुसरे नंबर पर रहे रालोसपा उम्मीदवार रिंकू सोनी भी अब रालोसपा छोड़ चुके हैं,जाहिर सी बात है की चुप नहीं बैठेंगे,जरुर कहीं न कहीं जुगाड़ में लगे हैं,पिछला चुनाव लड़ने का अनुभव भी है और साधन सम्पन्न भी हैं ऊपर से राजनीती का चस्का है.महज चार हजार वोट से विधायक बनते बनते रह गये थे बेचारे.
प्रदीप जोशी ने किया था कमाल
जानकार मानते हैं की अगर डेहरी में कोई टक्कर दे सकता है तो वो है प्रदीप जोशी.2005 के चुनाव में प्रदीप जोशी ने निर्दलीय खड़ा होकर इलियास हुसैन को 43 हजार से अधिक मतों से चुनाव हरा दिया था.उस समय का चुनाव पूरा भगवा बनाम हरा हो गया था,वोटों की जबर्दस्त ध्रुवीकरण हुई थी और उतने अधिक मतों से चुनाव जितने का रिकॉर्ड आजतक प्रदीप जोशी के ही नाम है.
प्रदीप जोशी की पत्नी 2010 में पुनः निर्दलीय चुनाव जीती थी,दोनों बार राजद के कद्दावर नेता इलियास हुसैन हारे थे.इसलिए लोगों के दिमाग में यह बात बैठ गई है की इलियास के राजनितिक पृष्ठभूमि और राजद को कोई टक्कर दे सकता है तो वह सिर्फ प्रदीप जोशी ही है.हालाकि इसबार भी प्रदीप जोशी क्षेत्र भ्रमण के लिए निकल चुके हैं और उम्मीदवार की दौड़ में शामिल हैं,इनके साथ अच्छी बात यह है की इन्हें किसी दल के टिकट के चक्कर में अपनी उर्जा नहीं खपत करनी है.
राजद होगी भितरघात की शिकार
इस उपचुनाव में राजद का उम्मीदवार भितरघात का शिकार होगा,इसको कहने में कोई गुरेज नहीं है.क्यूंकि उम्मीदवारों की फेहरिस्त लंबी हो गई है,खासकर यादव उम्मीदवारों की.इधर फिरोज हुसैन के आ जाने से कुछ यादव नेता असहज महसूस करने लगे हैं,यादव नेताओं का कहना है की डेहरी में परिवारवाद नहीं चलेगा,अब इस सीट से यादव को टिकट मिलना चाहिए.इधर बाबु साहेब भी युवा राजद में प्रदेश स्तर के नेता हैं,सामाजिक प्रतिष्ठा भी अच्छी है,मिलनसार भी हैं लेकिन संगठन के ही लोग उनके पर कुतरने में लगे हैं.पूरा राजद कई लॉबी में बंट गया है.अब देखना यह है की किसकी दावेदारी काम आती है लेकिन एक दुसरे को कुतरने के चक्कर में राजद को इस सीट पर भितरघात से सामना होना तय है.
क्या हैं स्थानीय मुद्दे ?
डेहरी विधानसभा में डालमियानगर रेल कारखाना शुरू कराना सबसे प्रमुख मुद्दा है,जबकि डेहरी को जिला बनाने की मांग भी अलग अलग संगठन कई वर्षों से करते आ रहे हैं,यह भी एक चर्चित मुद्दा है.सोनं नदी के तट पर स्थित यह विधानसभा क्षेत्र बालू और कोयला के कारोबार में अव्वल है.डेहरी शहर की रुपरेखा भी ठीक नहीं है,इसके अलावें भी कई सारे मुद्दे इस विधानसभा में उठते रहते हैं.
इलियास हुसैन की बेटी जदयू में चली गई
इलियास हुसैन की बेटी आसमां परवीन ने जुलाई २०१८ में ही जदयू ज्वाइन कर लिया है,उन्होंने नितीश कुमार को चाचा बताते हुए उनके शराब बंदी से आकर्षित होकर जदयू ज्वाइन किया है,ऐसा उन्होंने के तब पत्रकारों को बताया था.लेकिन फिलहाल वो डेहरी उपचुनाव में कहाँ हैं ,उनकी क्या भूमिका होगी.यह स्पष्ट नहीं हो पाया है.हलाकि अभी यह भी तय नहीं हुआ है की डेहरी उपचुनाव कौन लडेगा भाजपा या जदयू.
माला से लदे इलियास हुसैन के बेटे फिरोज हुसैन |
राजद में भी दर्जनों दावेदारी
चुकी यह सीट राजद की है लेकिन अब राजद के कद्दावर नेता जेल में हैं तो यादव समाज से कई नेता उभर कर सामने आ गये और अपनी अपननी दावा पेश करने लगे हैं.यादव नेताओं की नूराकुश्ती पिछले एक महीने से उस क्षेत्र में शुरू है,सबकी अपनी अपनी दावेदारी है इसी बिच राजद के ही एक राजपूत नेता भी रेस में कूद जाते हैं,अभी लोबिंग शुरू ही हुई थी की इलियास हुसैन के पुत्र फिरोज हुसैन अपने पिता के सीट पर दावा पेश करते हुए खुद को टिकट के रेस सबसे आगे कर लेते हैं.फिरोज हुसैन लगातार जनसम्पर्क कर रहे हैं,संगठन के लोगों के साथ मीटिंग कर रहे हैं.नतीजन बाबु साहेब थोडा कमजोर पड़ने लगते हैं,संगठन के उस बैठक में बाबु साहेब नहीं जाते हैं जहाँ फिरोज हुसैन पहुचते हैं.फिलहाल राजद के तरफ से फिरोज हुसैन टिकट की रेस में सबसे आगे हैं.पिछले इतिहास और जातीय समीकरण देखा जाए तो इस सीट के लिए राजद के पास मुस्लिम उम्मीदवार के अलावे दूसरा कोई विकल्प नहीं है.
भाजपा के ढेर युवा चेहरे भी हैं लाइन में
भाजपा आजतक डेहरी सीट पर नहीं जीत पाई है फिर भी रालोसपा के अलग हो जाने से भाजपा के स्थानीय नेता इस उपचुनाव को खुद के लिए अवसर समझ रहे हैं.टिकट के लिए एक युवा व्यवसाई समेत एक ब्राह्मण भाजपा नेता भी पटना से लेकर डेहरी तक एक किये हुए हैं.इधर खबर यह भी है की एक पूर्व यादव समाज से एक पूर्व विधायक भी अंदर ही अंदर जुगाड़ भिड़ाने में जुटे हैं,अब कहाँ तक सफल होते हैं यह तो वक्त ही बताएगा.
पिछले उम्मीदवार भी रालोसपा छोड़ चुके हैं
2015 के विधानसभा चुनाव में दुसरे नंबर पर रहे रालोसपा उम्मीदवार रिंकू सोनी भी अब रालोसपा छोड़ चुके हैं,जाहिर सी बात है की चुप नहीं बैठेंगे,जरुर कहीं न कहीं जुगाड़ में लगे हैं,पिछला चुनाव लड़ने का अनुभव भी है और साधन सम्पन्न भी हैं ऊपर से राजनीती का चस्का है.महज चार हजार वोट से विधायक बनते बनते रह गये थे बेचारे.
प्रदीप जोशी ने किया था कमाल
जानकार मानते हैं की अगर डेहरी में कोई टक्कर दे सकता है तो वो है प्रदीप जोशी.2005 के चुनाव में प्रदीप जोशी ने निर्दलीय खड़ा होकर इलियास हुसैन को 43 हजार से अधिक मतों से चुनाव हरा दिया था.उस समय का चुनाव पूरा भगवा बनाम हरा हो गया था,वोटों की जबर्दस्त ध्रुवीकरण हुई थी और उतने अधिक मतों से चुनाव जितने का रिकॉर्ड आजतक प्रदीप जोशी के ही नाम है.
प्रदीप जोशी की पत्नी 2010 में पुनः निर्दलीय चुनाव जीती थी,दोनों बार राजद के कद्दावर नेता इलियास हुसैन हारे थे.इसलिए लोगों के दिमाग में यह बात बैठ गई है की इलियास के राजनितिक पृष्ठभूमि और राजद को कोई टक्कर दे सकता है तो वह सिर्फ प्रदीप जोशी ही है.हालाकि इसबार भी प्रदीप जोशी क्षेत्र भ्रमण के लिए निकल चुके हैं और उम्मीदवार की दौड़ में शामिल हैं,इनके साथ अच्छी बात यह है की इन्हें किसी दल के टिकट के चक्कर में अपनी उर्जा नहीं खपत करनी है.
राजद होगी भितरघात की शिकार
इस उपचुनाव में राजद का उम्मीदवार भितरघात का शिकार होगा,इसको कहने में कोई गुरेज नहीं है.क्यूंकि उम्मीदवारों की फेहरिस्त लंबी हो गई है,खासकर यादव उम्मीदवारों की.इधर फिरोज हुसैन के आ जाने से कुछ यादव नेता असहज महसूस करने लगे हैं,यादव नेताओं का कहना है की डेहरी में परिवारवाद नहीं चलेगा,अब इस सीट से यादव को टिकट मिलना चाहिए.इधर बाबु साहेब भी युवा राजद में प्रदेश स्तर के नेता हैं,सामाजिक प्रतिष्ठा भी अच्छी है,मिलनसार भी हैं लेकिन संगठन के ही लोग उनके पर कुतरने में लगे हैं.पूरा राजद कई लॉबी में बंट गया है.अब देखना यह है की किसकी दावेदारी काम आती है लेकिन एक दुसरे को कुतरने के चक्कर में राजद को इस सीट पर भितरघात से सामना होना तय है.
क्या हैं स्थानीय मुद्दे ?
डेहरी विधानसभा में डालमियानगर रेल कारखाना शुरू कराना सबसे प्रमुख मुद्दा है,जबकि डेहरी को जिला बनाने की मांग भी अलग अलग संगठन कई वर्षों से करते आ रहे हैं,यह भी एक चर्चित मुद्दा है.सोनं नदी के तट पर स्थित यह विधानसभा क्षेत्र बालू और कोयला के कारोबार में अव्वल है.डेहरी शहर की रुपरेखा भी ठीक नहीं है,इसके अलावें भी कई सारे मुद्दे इस विधानसभा में उठते रहते हैं.
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