Advertisement

काराकाट में युवाओं के रोजगार और राजनितिक भागीदारी के लिए लड़ाई लड़ेगा यह युवा सांसद उम्मीदवार - Siyasi Baat

मौजूदा दौर में एकतरफ राजनीती जहाँ बड़े लोगों के गिरफ्त में हो गई है,जिसके दरवाजे सिर्फ अमीरजादों के लिए खुले हैं वहीँ दूसरी तरफ काराकाट लोकसभा में एक ऐसा युवा उम्मीदवार भी चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा है जिसके पास न तो पैसा है और न ही कोई राजनितिक पृष्ठभूमि.ऐसे परिवेश में साधारण परिवार से निकला नौजवान सिर्फ चुनाव लड़ने की हिम्मत जुटा ले वहीँ बहुत बड़ी बात है.आइये आज चर्चा करते हैं 26 वर्ष के सबसे युवा सांसद उम्मीदवार के बारे में.
दिव्यांग साथियों से मिलते पवन पाण्डेय 
हम जिस युवा की बात कर रहे हैं उसका नाम पवन कुमार पाण्डेय है.पवन कुमार पाण्डेय के साधारण किसान के बेटे हैं,और स्नातक की पढाई कर चुके हैं.मूल रूप से चेनारी प्रखंड के पाण्डेय डिही गावं के रहने वाले पवन की माँ अपने पंचायत की सरपंच भी रह चुकी हैं.पवन शुरू से भाजपा से जुड़े थे लेकिन नरेंद्र मोदी के सरकार में युवाओं के अनदेखी से वो नाराज होकर अब खुद को भाजपा से अलग कर लिए हैं.कई वर्षों तक पवन सवर्ण सेना से भी जुड़े रहे और आर्थिक आधार पर आरक्षण के लिए आवाज बुलंद करते रहे,अब आम आदमी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए दंगल में कूद चुके हैं.



हमारे प्रतिनिधि और युवा उम्मीदवार पवन के बिच हुई बातचीत की अंश :
इतने कम उम्र में आपने इतना बड़ा चुनाव लड़ने का फैसला क्यूँ लिया ?
मेरी उम्र कम कैसे है,मैंने 25 की आयु पार कर लिया है,चुनाव लड़ने के लिए योग्य हूँ इसलिए लड़ रहा हूँ.कोई भी चुनाव बड़ा-छोटा नहीं होता है,यह सिर्फ कुछ मुट्ठी भर लोगों द्वारा फैलाया गया अफवाह है की सांसद का चुनाव लड़ना बहुत कठिन है,बहुत पैसा चाहिए ताकि आम लोग,आपके हमारे जैसे कमजोर लोग इस चुनाव में भय से न आ सकें.वहीं भय दूर करने के लिए मैंने फैसला लिया है.

आपने आम आदमी पार्टी से ही लड़ने का फैसला क्यूँ लिया ?
क्यूंकि आम आदमी पार्टी जनता की राजनीती करती है,मैं अरविन्द केजरीवाल को पसंद करता हूँ उन्होंने दिल्ली और देश की राजनीती को अपने संघर्ष के बल पर एक नया विकल्प दिया है और लोगों ने उसे पसंद भी किया है. वो जन संघर्ष से उभरे नेता हैं,उनकी कोई राजनितिक पृष्ठभूमि नहीं है.मैं भी उन्ही के रस्ते पर हूँ.

युवाओं को कैसे अपने पक्ष में करेंगे,क्या बताएँगे उन्हें ?
देखिये मैं खुद युवा हूँ और मैं बखूबी समझता हूँ की आज के परिवेश में युवाओं के सामने कितने समस्या खड़े हैं.मेरे साथ साथ देश में करोड़ों नौजवान अच्छी डिग्री और शिक्षा लेने के बावजूद भी रोजगार के लिए दर दर भटक रहे हैं.एक गरीब बाप अपनी धोती तक गिरवी रख देता है अपने बेटे को पढ़ाने के लिए.बेटा पढ़ लिख जाता है तब पता चलता है की देश में रोजगार ही नहीं है.अपने अच्छी डिग्री का बोझ,घर की गरीबी का बोझ,परिवार चलाने की बोझ,गावं घर का ताना सब सहते हुए युवा अपनी जिन्दगी गुजारता है.इसके लिए कौन जिम्मेदार है? आप ही बताइए.शिक्षा और रोजगार देना सरकार का काम है,अगर वहीँ न मिले तो हमें सरकार बनना पड़ेगा की नहीं ? वहीँ कर रहे हैं,मैंने ये तमाम पीड़ा झेला है इसलिए चुनाव में आया हूँ.युवाओं की शिक्षा और रोजगार के लिए जान भी देनी पड़ी तो दूंगा.बस इतना ही बताऊंगा .

आप युवाओं के राजनितिक भागीदारी की बता करते हैं,उसके बारे में समझाइए 
राजनितिक भागीदारी का मतलब यह है की हम युवाओं को राजनीती में भी उचित जगह मिलनी चाहिए.आज आप देखिये राजनीती के शीर्ष से लेकर प्रदेश के सरकारों तक युवाओं के नाम पर सिर्फ बड़े बड़े नेताओं के बेटे बेटियां ही आगे बढ़ रहे हैं.साधारण परिवार के बेटे को कभी आप सांसद और मंत्री या विधायक बनते देखे हैं आप ? एक कार्यकर्ता जीवन भर किसी भी दल की सेवा करता है लेकिन जब चुनाव आता है तो टिकट उसी युवा को मिलता है जिसके बाप के पास पैसे हैं,पावर हैं,या पहले से सत्ता का हिस्सा रहा हो.अगर ऐसा ही चलता रहा तो गरीब बाप के बेटे के लिए विधानसभा,संसद सिर्फ सिनेमा और टीबी में देखने की चीज भर रह जाएगी.कोई गरीब का बेटा मुखिया तक नहीं बनेगा.इसलिए हम कहते हैं की सभी पार्टियाँ बताएं की वो कितने प्रतिशत टिकट युवा को दे रही है जो किसी नेता का बेटा न हो ? मैं यहीं मिथक तोड़ने का प्रयास कर रहा हूँ की इन मुट्ठी भर सत्ता के दलालों के पीछे लगने से बेहतर है युवा एक युवा को समर्थन दे और नया प्रयोग करे.यहीं बात हम बताएँगे अपने साथियों को.

स्थानीय मुद्दे क्या क्या हैं आपके नजर में ?
सिर्फ मुद्दे ही मुद्दे हैं,किसी कालेज में छात्रों के आवश्यकता अनुसार क्लासरूम नहीं हैं,रेगुलर पढाई नहीं होती है,तीन साल की डिग्री 5 साल में पूरी होती है.यह सब ठीक कराएँगे हम.रोहतास में एक पालीटेक्निक कालेज है उसका भी अपना भवन नहीं है,इंजीनियरिंग कालेज है उसका भी भवन नहीं है अभीतक.छात्राओं के लिए महिला कालेज हर अनुमंडल में खुलवायेंगे.किसानों के धान की खरीदारी उनके खलिहान से कराने के लिए व्यवस्था कराएँगे.डालमियानगर रेल कारखाना अबतक जस का तस है उसको शुरू कराएँगे और उसमें अस्सी प्रतिशत स्थानीय युवा को नौकरी देने के लिए लड़ाई हमसब युवा मिलकर लड़ेंगे.हम हर खेत तक बिजली पहुचाने के लिए संसद में आवाज उठाएंगे,कृषि को रोजगार का रूप देने के लिए बात करेंगे.अपने सांसद निधि का उपयोग युवाओं से पूछकर करेंगे.ऐसे बहुत सारे योजना हैं हमारे दिमाग में जो हम लोगों को बता रहे हैं.
बेरोजगार युवाओं को हर महीने भत्ता मिले,सभी सरकारी फ़ार्म निशुल्क किये जाएँ,युवाओं के लिए परीक्षा प्रवेश पत्र दिखाने पर कम से कम स्लीपर क्लास में रेलवे रिजर्वेशन फ्री मिले,आकस्मिक दुर्घटना पर युवा के परिजन को तुरंत 10 लाख का मुआवजा मिले,ऐसे ढेर सारे काम हम करेंगे जो युवाओं के लिए होगा.

आपके पास पैसे नहीं हैं तो चुनाव प्रचार कैसे होगा ?
मेरे युवा साथी मेरा प्रचार सोशल मीडिया पर कर रहे हैं,आजकल इससे बड़ा कोई प्लेटफोर्म नहीं है.मेरे जो अभिभावक हैं उनसे मैं मिल रहा हूँ और उंनसे 50 -100 जो भी होता है चंदा के रूप में मांगता हूँ.वहीँ पैसे मेरे लिए काफी है.मैं उससे चुनाव लड़ लूँगा.अगर आपके पास भी सामर्थ्य है अगर लगता है की मैं ठीक मुद्दों को लेकर चुन्नव लड़ रहा हूँ तो आप भी चंदा दीजिये हमें.



SHARE

Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

  • Image
  • Image
  • Image
  • Image
  • Image
    Blogger Comment
    Facebook Comment